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सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड ने प्रधानाध्यापकों के लिए "विद्यालयों के द्वारा बच्चों के लिए सुरक्षित व संरक्षित यातायात सुविधा" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला रखी

 गाजियाबाद: जिला प्रशासन के सहयोग से जनपद के सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के लिए "विद्यालयों के द्वारा बच्चों के लिए सुरक्षित व संरक्षित यातायात सुविधा" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, परिवहन विभाग, पुलिस प्रशासन, माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं बेसिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में जनपद के सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के लिए "विद्यालयों के द्वारा बच्चों के लिए सुरक्षित व संरक्षित यातायात सुविधा" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आई टी एस मोहन नगर के सेमिनार हॉल में आयोजित की गई, जिसमें लगभग 120 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों/ प्रतिनिधि द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम के नोडल अधिकारी विनोद कुमार मिश्र- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्वागत उद्बोधन दिया।कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र शर्मा, डॉ शिखा दरबारी (आईआर एस), एसपी ट्रैफिक रामानंद कुशवाहा, जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र, सहायक जिला विद्यालय निरीक्षक आशीष पांडे, एआरटीओ मनोज मिश्रा व राहुल श्रीवास्तव तथा एआरटीओ गौतम बुध नगर दीपक शाह गणमान्य अतिथियों के रूप में उपस्थित रहे। डॉ शिखा दरबारी ने अपने उद्बोधन में विभिन्न घटनाओं के उदाहरण देते हुए व उसमें हुई गलतियों को इंगित करते हुए सावधानी रखने पर सभी का ध्यान दिलाते हुए कहा कि अधिकांशत: बसों से उतरते हुए और चढ़ते हुए दुर्घटनाओं की संभावना रहती है जिसके लिए बस कंडक्टर, गार्ड और महिला शिक्षक या गार्ड का होना अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में बने कानूनो की जानकारी भी उन्होंने सभी को प्रदान की। एआरटीओ राहुल श्रीवास्तव ने उपस्थित प्रधानाचार्य से संवाद स्थापित करते हुए उनकी जिज्ञासाओं और प्रश्नों के उत्तर दिए। सत्र अत्यंत रुचि पूर्ण रहा। अल्पाहार के लिए छोटे से ब्रेक के बाद मुख्य वक्ता की भूमिका में आरएन कुशवाहा (पुलिस अधीक्षक यातायात) ने अत्यंत सहज और स्वाभाविक रूप से यातायात नियमों के व्यवहारिक पक्ष को उजागर करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति कितना अनुशासित और शिक्षित है यह बात उसके द्वारा सड़क पर किए गए व्यवहारों से ज्ञात होती हैं। व्यक्ति की सहनशक्ति तत्परता एवं नियमों के अनुपालन की क्षमता को देखते हुए किसी भी व्यक्ति के चरित्र को सही प्रकार आंका जा सकता है। अत्यंत संवेदनशील मुद्दों पर बात करते हुए प्रभावशाली ढंग से एसपी ट्रैफिक ने विद्यालयों की चरित्र निर्माण हेतु जिम्मेदारी तय की। एआरटीओ मनोज मिश्रा एवं दीपक शाह ने परिवहन से संबंधित नियम व शर्तें तथा स्कूली वाहनों हेतु जरूरी बातें को साझा करते हुए सभी का ज्ञान वर्धन किया। सहायक जिला विद्यालय निरीक्षक आशीष पांडे ने विद्यालयों के कर्तव्यों को विस्तृत रूप से बताते हुए समाज को बेहतर बनाने की अपील की। जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास चंद्र ने बच्चों के प्रति पूरे समाज की जिम्मेदारी तय करते हुए कहा कि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा हम सब की पहली जिम्मेदारी है यह समाज का वह तबका है जो अपने अधिकारों के लिए स्वयं आवाज नहीं उठा सकता अतः बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। अंत में राज्य अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने अपने ऊर्जावान उद्बोधन में बच्चों को सुरक्षित यातायात मुहैया कराने से संबंधित सभी गाइडलाइंस और संबंधित समस्त पक्षों पर चर्चा परिचर्चा कर एक साझा समझ विकसित की। उन्होंने कहा कि यह किसी एक व्यक्ति के लिए जिम्मेदारी नहीं हो सकती, इसके लिए सरकार, शिक्षक प्रशासन और अभिभावक सभी बराबर के हिस्सेदार हैं। कल का समाज हमें कैसा चाहिए इसकी तैयारी हमें आज से ही विद्यालयों में प्रारंभ कर देनी चाहिए उन्होंने सभी प्रधानाचार्य से अपील की के हम सब मिलकर व्यवस्था को सुधारने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे और निश्चित रूप से हमें सफलता भी मिलेगी। इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी हेमेंद्र सिंह, जिला समन्वयक राकेश शर्मा, रुचि त्यागी उपस्थित रहे। मंच संचालिका पूनम शर्मा के साथ एसआरजी विनीता त्यागी, एआरपी अरुण पंवार, छविकांत, रेनू चौधरी, आरती वर्मा, अंजू सैनी, लता शर्मा व रुचि गुप्ता का विशेष सहयोग रहा। गौरव दयाल अपर जिला सूचना अधिकारी गाजियाबाद।

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