कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजवादी विचारक राम दुलार यादव ने कहा कि साधारण नाई परिवार में जन्मे श्रद्धेय कर्पूरी ठाकुर परिश्रम, लगन, त्याग, तपस्या से 2 बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था आजादी की लड़ाई लड़ी, 26 महीने जेल में रहे, उन्होने उद्घोष किया था कि अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग-पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो, वह ईमानदारी और नैतिकता की मिसाल थे| सादगी उनका आभूषण थी, ओजस्वी वक्ता, आडंबर विरोधी, उत्साहवर्धक, विचार, ओजस्वी भाषण उनकी बोलने की कला थी, जनता में वह इतने लोकप्रिय थे, कि उन्हे जन नायक कहा जाता था, उच्च पद भी रहते हुए कभी धन की लिप्सा उनमे लेशमात्र भी नहीं थी, उनके पास न कोई चल, अचल संपत्ति थी, आज स्थिति कितनी बदल गयी है, राजनीति में धन का प्रयोग इतना बढ़ गया है कि कर्पूरी ठाकुर जैसा व्यक्ति अब गाँव का प्रधान भी नहीं बन सकता, व्यक्ति, समाज, देश के बारे में चाहे वह कितना भी गंभीर हो| आजादी के 75 वर्ष बाद हम देश वासियों को उनका हक नहीं दिला पाये, बल्कि राजनीति अंधेरी सुरंग में पहुँच गयी है, बाहुबल, धनबल, सामंतवाद राजनीति को प्रभावित कर रहा है, लोकतंत्र की दीवारें दरक रही है, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है, चुनी हुई सरकारें धन का प्रयोग कर लोभ, लालच, डर फैलाकर गिराई जा रही है, तथा अनैतिक तरीके से सरकार बनाई जा रही है, जनता को बात समझ में आ नहीं रही है| राजनीति का नैतिक पतन हो रहा है, नफरत, असहिष्णुता, आडंबर, पाखंड, झूठ का बोलबाला है, मतदाता और जनता असहाय स्थिति में है, आज जन नायक की याद आती है, हम उन्हे स्मरण कर जयंती मना गौरव महसूस कर रहे है, हम समाज में समता, सद्भाव, भाईचारे के लिए हमेशा प्रयासरत रहेगे, राजनीति में ईमानदारी, नैतिकता का प्रचार-प्रसार करते रहेगे|
कार्यक्रम में शामिल रहे, नन्दन कुमार, कृष्ण कुमार दीक्षित, ड़ा0 देवकर्ण चौहान, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, हाजी मोहम्मद सलाम, राम करन जायसवाल, फिरोज चौधरी, मुनीव यादव, राम जन्म यादव, सम्राट सिंह यादव, फ़ौजुद्दीन, शाहरुख, इंद्रजीत सिंह, शंभूनाथ जायसवाल, भास्कर, मोहसिन राना, ओम प्रकाश अरोड़ा, विजय मिश्र, हरीस ठाकुर, अखिलेश कुमार शुक्ल, राजपाल यादव, रोहितास कुमार गुप्ता, विश्वनाथ यादव, केदार सिंह, प्रेम चंद पटेल, सुरेश कुमार, गुल शेख, अमर बहादुर, संभू नाथ यादव, हरि कृष्ण यादव आदि| कार्यक्रम के अंत में भगवत गीता भेंट की गयी, एवं अन्याय, अत्याचार, शोषण, आडंबर के समूल नाश का संकल्प लिया गया|
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