Hot Posts

6/recent/ticker-posts

मुझे न कहना मंगलमय

नये वर्ष में नया नहीं कुछ,
फिर कैसे होगी जय- जय!
ठिठुर रहा तन शीतलहर से,
दिखता नहीं जगत निर्भय।
दिल से पुनः विचार करें,
इस विलायती फरमानों पर-
सहमत नहीं हुआ मैं साथी,
नहीं सार्थक यह निर्णय।
वसुधा लदी हुई कुहरे से,
अम्बर कांतिहीन लगता-
तुम्हें बधाई हो परिवर्तन,
मुझे न कहना मंगलमय।।

डॉ अवधेश कुमार अवध

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ