शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि “सावित्री बाई फूले” ने 1848 में महिलाओं और वंचित वर्ग के लिए विद्यालय खोल शिक्षा की अलख जगाने का कार्य किया, इस कार्य में उनका सहयोग किया फातिमा शेख ने, उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन और समाज सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया, महिलाओं को सशक्त करने के लिए तथा उन्हे सम्मान जनक स्थान मिले, विधवा विवाह का समर्थन किया, उन्होने विधवाओं और बच्चों के लिए संरक्षण गृह की स्थापना की| महिलाओं के साथ होने वाले क्रूर व्यवहार का विरोध किया बाल काटने की रूढ़िवादी परम्परा को तोड़ दिया, महाराष्ट्र में ज्योतिबा फूले, सावित्री बाई फूले, गफ्फार बेग, फातिमा शेख ने जो महिला सशक्तिकरण का कार्य किया, वह पूरे देश में नया संदेश दिया, आज शिक्षा के मौलिक अधिकार जो संविधान में प्रदत्त है उन्होने उसे सैकड़ों वर्ष पहले कर दिया था, उन्होने शिक्षा और चिकित्सा जो मानव की मूलभूत आवश्यकता है जिससे मानव जीवन गौरवान्वित होता है उस पर काम किया, हमे उनको स्मरण करते हुए गौरव का अनुभव हो रहा, हम संकल्प लेते है कि हम उनके किये हुए जन मानस के उत्थान के कार्यों को आगे बढ़ाते रहेंगे| सरकार को भी आमजन को उचित शिक्षा और चिकित्सा की सुचारु रूप से व्यवस्था करनी चाहिए|
कार्यक्रम में मुख्य रूप से छात्र-छात्राओं ने भाग लिया , प्रमुख रहे, विवेक वर्मा, सत्य विजय यादव एडवोकेट, मोहम्मद आसिफ, विजय भाटी, आरती, पूजा, अमित मौर्य, सत्कार शर्मा, आनंद गिरि, मोंटी सैन, वंश गुप्ता, नीतिश पंडित, हिमांशु चौधरी, सोनू नागर, अंकित कुमार, अखिलेश कुमार शुक्ल, अमर बहादुर आदि|
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