हे कर्मवीर खनिक!
जिंदगी और मौत के बीच
सुरक्षा नियमों का कवच पहने
बल और बुद्धि को संतुलित करके
उतर जाते हो
धरती की अधखुली गोद में
खनिज खोदने
हे कर्मवीर खनिक!
खून और पसीने को
मिलाते हो अपने अटल हौसलों में
लेकर हाथ में कुदाल
करते हो बार - बार प्रहार
किसी अन्वेषक की तरह
तोड़ देते हो कवच
उठा देते हो रहस्यों से पर्दा
भर लेते हो मुट्ठी में
अनमोल खजाना।
हे कर्मवीर खनिक!
तुम्हारी मेहनत पर
टिका है विकास का सपना
तुम्हीं अपने हाथों से
गढ़ते हो उद्योग-धंधों की जीवन-रेखा
तुम्हारे अतुलित श्रम-सीकर से
चलती हैं आवागमन की साँसें
तुम हो देश की बेशकीमती पूँजी
मगर ध्यान रहे
अधिकार है तुम्हें दोहन का
मत करना शोषण
तभी हो सकेगा पोषण
यह आस भी तुमसे है
क्योंकि हे खनिक!
तुम्हीं हो धरती-पुत्र।
डॉ अवधेश कुमार अवध
मैक्स सीमेंट, मेघालय
संपर्क - 8787573644
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