'आस्था पर आघात का कुचक्र' विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने रामचरितमानस में रामराज्य की परिकल्पना का विवेचन करते हुए रामचरितमानस का विरोध करने वालों की मानसिकता पर सवाल उठाया है। बिहार के शिक्षामंत्री द्वारा रामचरितमानस पर दिए गए अशोभनीय बयान के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयान मर्यादा की सीमा को पार करते दिख रहे हैं।
लखनऊ में रामचरितमानस को जलाए जाने की घटना और उसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव द्वारा सपा का महासचिव बनाया जाना यह दर्शाता है कि स्वामी प्रसाद द्वारा की जाने वाली अमर्यादित टिप्पणियों 'को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का पूरा समर्थन प्राप्त है। दरअसल देश में हिंदू समाज की लगभग सभी जातियों द्वारा पिछले आठ वर्षों से भाजपा के पक्ष में एकजुट होकर मतदान करने से विपक्षी पार्टियां खुद को असहाय महसूस करने लगी हैं। इसी एकता को विखंडित करने के लिए उन्होंने जातिवाद के ब्रह्मास्त्र के संधान का फैसला किया है। रामचरितमानस की चौपाइयों के वास्तविक मर्म को समझे बगैर उसकी मनमानी व्याख्या कर लोगों को भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है। आजकल रामचरितमानस को पिछड़ा और दलित साबित करने की होड़ लग गई है। लोगों को बांटकर आज राजनीतिक दल सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने का स्वप्न देख रहे हैं। जनमानस को इन स्वार्थी राजनीतिक दलों से सतर्क हो जाना चाहिए। उन्हें इनकी वास्तविकता को उजागर करने के लिए आगे आना चाहिए कि वह किस प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं ऐसे सामूहिक प्रयासों में ही में हिंदू समाज और देश दोनों का हित निहित है
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