गाजियाबाद विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने राम चरित मानस पर विवादित टिप्पणी कर न सिर्फ करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है। • बल्कि अपने सनातन संस्कारों को भी तिरस्कृत किया है। राम चरित मानस हिंदुओं के लिए सिर्फ धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है और संस्कारों से जुड़ा हुआ है। मानस कोई पुस्तक नहीं बल्कि मनुष्य के चरित्र निर्माण का विश्वविद्यालय है और लोगों के कार्य व्यवहार में इसे स्पष्टता से देखा जा सकता है। यह मानने की बात नहीं की स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने जीवन में मानस की चौपाइयों और दोहों का पाठ न किया हो। इसलिए कहा जा सकता है कि राजनीति में इस समय हाशिये पर चल रहे. मौर्य ने चर्चा में रहने के लिए बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर प्रसाद की विवादित टिप्पणियों को आगे बढ़ाया। राजनीतिक हित साधने के लिए जनभावनाओं का - अपमान उचित नहीं। इसीलिए मौर्य का प्रबल विरोध भी हो रहा है।यह विडंबना है कि राजनेता इस बात की कतई परवाह नहीं करते कि उनके शब्दों का जनमानस पर क्या प्रभाव पड़ेगा। राम चरित मानस पर तथाकथित प्रगतिशील पहले भी अधकचरी टिप्पणियां करते रहे हैं लेकिन इससे इस ग्रंथ की सर्वस्वीकार्यता पर कोई असर नहीं पड़ा, न ही गोस्वामी तुलसी दास के प्रति लोगों की श्रद्धा कम हुई। स्वामी प्रसाद ने यदि कुछ चौपाइयों पर आपत्ति जताई है तो या तो उन्होंने मानस का अध्ययन नहीं किया या फिर उन्होंने जानबूझकर यह वितंड़ा खड़ा किया। विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा देश की महामहिम राष्ट्रपति से मांग करती है कि स्वामी प्रसाद का कृत्य अक्षमय है वह मानसिक संतुलन खो चुके हैं ऐसे व्यक्ति के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करके पागल खाने में डालना चाहिए
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