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कोर्ट परिसर तक कैसे पहुंचा था तेंदुआ, डीएम ने खुद बताई सारी कहानी, 2 साल पहले भी दिखा था!

गाजियाबाद: जिला कोर्ट परिसर में बुधवार को कोहराम मचाने वाला तेंदुआ मंगलवार रात 2:53 पर कमिश्नर ऑफिस के सामने से निकला था। इसके बाद वह कोर्ट परिसर में घुसा और छत पर छिपकर बैठा रहा। बुधवार को दिन में कोर्ट में हो रहे शोर से वह घबरा गया और वहां बैठे पॉलिश करने वाले शमीम पर हमला कर दिया। बाद में भगदड़ मचने पर वह इतना घबरा गया कि उसके सामने जो भी आया उसी पर उसने हमला कर घायल करता रहा। हालांकि इस हमले में उसने अपने दांतों की बजाए केवल पंजे से ही हमला किया, इससे किसी की जान को खतरा अधिक नहीं हुआ।
डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि वन विभाग की ओर से तेंदुए के रूट के बारे में जांच में पता लगा कि वह हापुड़ रोड इंग्राहम इंस्टिट्यूट से होते हुए राजनगर राजकुंज पहुंचा और फिर पुलिस कमिश्नर ऑफिस के सामने से निकलकर कोर्ट परिसर में घुसा। वहां लगे सीसीटीवी में सुबह 2:53 बजे उसकी फुटेज कैद हुई है। एक्सपर्ट का कहना है कि चूंकि रात में उसे कोई रास्ता नहीं मिला इसलिए वह परिसर की छत पर छिपा रहा। एक्सपर्ट ने ये भी बताया कि तेंदुआ जब किसी व्यक्ति को बैठे हुए देखता है तो वह उसे अपना शिकार समझता है। इसलिए उसने दिन में पॉलिश करने वाले को देखा और हमला कर दिया।
राजकुंज में दो साल पहले दिखने वाला तेंदुआ ही हो सकता है
नवंबर 2020 में राजकुंज में एक तेंदुआ सीसीटीवी में कैद हुआ था। इसके बाद कई बार तेंदुआ दिखने के मामले आए। देखने से वहीं तेंदुआ होने की संभावना जताई जा रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि चूंकि वह कई बार इस क्षेत्र में आ चुका था इसलिए इसे यहां के बारे में पता था। वन विभाग की एक टीम इस बात की जांच भी कर रही है कि हिंडन किनारे बागपत की ओर जाने वाले रूट पर घना जंगल है। संभव हैं कि वहां और तेंदुए हों और यह तेंदुआ भी वहीं से आया हो।
दो शॉट में हुआ था तेंदुआ बेहोश
वन विभाग की रेस्क्यू टीम को तेंदुए को बेहोश करने के लिए नशीले इंजेक्शन के दो शॉट मारने पड़े। टीम के सदस्यों का कहना था कि चूंकि शोर में तेंदुआ आसानी से बेहोश नहीं होता और इस दौरान कोर्ट परिसर में शोर हो रहा था इसलिए दो शॉट मारने पड़े तब जाकर वह बेहोश होकर गिरा और टीम ने जाल डालकर उसे दबोच लिया। जिला कोर्ट परिसर में पकड़े गए तेंदुए को वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने गुरुवार को उत्तराखंड के शिवालिक जंगल में छोड़ दिया। जिला वन अधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि जिस समय इस तेंदुए को जंगल में छोड़ा वह पूरी तरह स्वस्थ था और उसे कई घंटे की निगरानी के बाद ही उसे आजाद किया गया। वहीं, इस घटना के बाद वन विभाग और प्रशासन गंभीर हो गया है। अभी तक तेंदुआ या अन्य कोई खतरनाक जीव के शहरी क्षेत्र में आने पर मेरठ स्थित रेस्क्यू टीम आकर कार्रवाई करती है। बुधवार को जिस प्रकार से करीब 6 घंटे तक तेंदुए का आतंक रहा और वन विभाग की रेस्क्यू टीम करीब 4 घंटे बाद मौके पर पहुंची इसको लेकर जनपद स्तर पर भी रेस्क्यू की टीम बनाने की तैयारी है।

एक्सपर्ट बोले, तेंदुए से घबराने की वजह
वन्य जीवों के एक्सपर्ट सुबीर चोफिन का कहना है कि तेंदुआ ऐसा जानवर है जो अपने आप को किसी भी परिस्थिति में डालने में माहिर है। यदि उसे न छेड़ा जाए तो वह हमलावर नहीं होता। जब उसे सामने वाले से अपनी जान का खतरा महसूस होता है तभी वह हमला करता है। यदि कभी अचानक किसी स्थान पर तेंदुआ मिल जाए तो आम आदमी स्वयं पर नियंत्रण रखें और उसकी ओर सीधे न देखें साथ ही उसे उकसाने वाली ऐसी कोई हरकत न करें जिससे वह हमलावर हो। अक्सर ऐसे मामलों में तेंदुआ देखते ही लोग या तो चिल्लाना शुरू कर देते हैं या फिर उस पर पत्थर या कोई अन्य चीज फेंकते हैं जिससे वह डर जाता है और अपनी जान बचाने के लिए हमले करता है। जिला कोर्ट परिसर में भी ऐसा ही हुआ कि उसे देखकर लोग चिल्लाए और कुछ चीज फेंकी जिससे वह हमले करता रहा। जिस प्रकार से वन्य क्षेत्र समाप्त होकर उनका शहरीकरण हो रहा है ऐसे में जानवरों खासकर तेंदुए का भोजन खरगोश और छोटे जीव समाप्त हो रहे हैं इसके कारण वह खाने की तलाश में वन क्षेत्र से निकलकर शहर में आ जाते हैं।

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