लोग कहलाते होंगे किसी के लाल हम तो देश के सपूत कहलाते हैं, जब आती है दुश्मन की फोंज सरहद पर मार हम भगाते हैं, कभी झुके नहीं किसी दुश्मन के आगे तभी हम वीर पुत्र कहलाते हैंं, दुश्मन अगर दुश्मनी करे तो घर में घुसकर हम मारते हैंं, देश खेलता है पटाखों से हम असली बम के सामने खड़े हो जाते हैं, जिंदगी कर दी थी जिस दिन देश के नाम उसी दिन से दिवाली हम मनाते हैंं, तिरंगा कभी झुके नहीं इसलिए मौत की बाजी हम लगाते हैं तिरंगा की शान के लिए हम जीते हैं उसी में लिपट घर आते हैंं, भुला ना देना हर साल यादों में यादें बसा लेना तुम, देशभक्ति की बातें कर मां-बाप के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना तुम
सरदार मनजीत सिंह
आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
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