अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यज्ञ बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है। पूर्व काल में देवताओं के असुरों से परास्त होने पर ब्रह्मा जी ने सब देवताओं की थोड़ी थोड़ी शक्ति एकत्रित करके ‘महाचण्डी’ को उत्पन्न किया था उसी ने असुरों का संहार किया था। रावण काल की असुरता का शमन करने के लिए भी ऋषियों ने अपने-अपने रक्त को एक घट में एकत्रित किया था। और उस एकत्रित रक्त से ही असुर निकंदिनी ‘महा सीता’ की उत्पत्ति हुई थी। इस अवसर पर विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा की मासिक बैठक का आयोजन कर महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी यती नरसिंहानंद गिरी जी का सानिध्य व आशीर्वाद प्राप्त किया इस अवसर पर महासभा के वरिष्ठ पदाधिकारी पंडित आलोक चंद्र शर्मा पंडित देवेंद्र शर्मा पंडित शिवकुमार शर्मा पंडित कपिल शर्मा पंडित विनीत कुमार शर्मा पंडित सुभाष चंद शर्मा पंडित मनमोहन शर्मा पंडित मनोज शर्मा पंडित आरपी शर्मा पंडित रघुनंदन भारद्वाज महिला प्रकोष्ठ की महासचिव एवं मथुरा वृंदावन प्रभारी सीमा भार्गव सहित दर्जनों पदाधिकारी मौजूद थे
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