कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास विलक्षण प्रतिभावान संत थे, उन्होने समाज में व्याप्त पाखंड, उंच-नीच, छुवाछूत, पुरोहित और सामंत वाद का डटकर विरोध किया, उन्होने कहा कि “माथे तिलक, हाथ जयमाला, जग ठगने का स्वांग रचाया, मारग छाडि कुमारग डहकै, सांची प्रीति बिन राम न पाया, उनका मानना था जब तक मन में असत्य, घृणा, द्वेष, अहंकार, शोषण, अन्याय, अनाचार का शैतान है, तब तक चाहे हजारों वर्ष “पूजा करो” अजान करो, न राम मिलेगे, न खुदा, अल्लाह ही का दीदार होगा, करुणा, दया, सद्भाव, भाईचारा, प्रेम, सत्य, अहिंसा ही सच धर्म है, धर्म के नाम पर ठगी पर जमकर प्रहार किया, कुछ मनुवादी ताक़तें इस बात से भयभीत थी, कमेरी जाति का संत हमे उपदेश दे रहा, लोगों में जागरण पैदा कर रहा है, उन्होने उन पाखंडियों को ललकारा कि “जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान| मोल करो तलवार का, पड़ी रहे जो म्यान|| समाज में भयावह स्थिति जो संत रविदास के समय थी वही कमोवेश आज भी समाज में बनी हुई है, आज बाबा साहेब का संविधान जन-जन को ताकत प्रदान कर रहा है, तब भी 3% लोग धनबल, बाहुबल से अपना प्रभाव जमाना नहीं छोड़ रहे है, देश में नफरत, असहिष्णुता, डर का वातावरण बनाया जा रहा है, अंधविश्वास, अंधश्रद्धा और आस्था के नाम पर नफरत परोसी जा रही है, हमे संत शिरोमणि रविदास के बताए मार्ग पर चलना चाहिए, समाज से डर, भय निकाल, सद्भाव, भाईचारा, प्रेम, सहयोग की भावना को देश में फैलाते हुए समावेशी और समरस समाज बनाने में अपने को समर्पित करना चाहिए, क्योकि संत शिरोमणि ने कहा कि “एक ही माटी, एक ही सब भांडे, सबका एकौ सिरजन हारा, रविदास व्यापै एकौ घट भीतर, सबकौ एक घड़े कुम्हारा” रविदास जी ने कहा है कि गुणों में प्रवीन बाल्मीकी भाई पूज्य है, गुणहीन पुरोहित जाति के कारण भी पूज्यनीय नहीं है| कार्यक्रम में छेदीलाल, रमेश गौतम, ओ0पी0 जाटव, सहदेव गिरी, एस0पी0 छिब्बर, श्रीचंद, पातीराम, वंदना, कौशल, धर्मेन्द्र यादव, कृष्णा यादव, ओम पाल जाटव, वीरेंद्र कुमार आदि शामिल रहे|
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