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समलैंगिक शादी का विरोध होना चाहिए! देश में समलैंगिक विवाह को उचित नहीं ठहराया जा सकता!!बीके शर्मा हनुमान जी

Ghaziabad : विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि भारत एक ऐतिहासिक, परंपरावादी और प्राचीनतम संस्कृति वाला देश है। भारत जैसे देश में शादियां सिर्फ सामाजिक वैधानिक संस्था ही नहीं, बल्कि यह एक परंपरा और संस्कृति है। ऐसे देश में कभी भी समलैंगिक विवाह को उचित नहीं ठहराया जा सकता। भारत में जैसा समाज है और जैसी संस्कृति है। इस लिहाज से देश के अंदर समलैंगिक विवाह एक तरह से अप्राकृतिक है। भारतीय समाज के अंदर इस तरह की व्यवस्था को स्वीकार करना सामाजिक व्यवस्था को एक गलत संदेश देने के अलावा और कुछ नहीं होगा। किसी भी अदालत या कोई भी याचिका, प्राकृतिक कानूनों से ऊपर नहीं हो सकती है। ऐसे में समलैंगिक विवाह से जुड़े हुए मुद्दों को किसी भी तरह कानूनी आधार नहीं मिलना चाहिए। बीके शर्मा हनुमान ने यह भी बताया कि 
यह तो सभी को पता है की प्यार हमेशा लड़का और लड़की के बीच होता है, जब किसी लड़की को कोई लड़का अच्छा लगता है उसका व्यवहार पसंद आता है या किसी लड़के को किसी लड़की की सादगी पसंद आ जाती है तो वो दोनों आपस में प्यार के बंधन में जुड़ जाते है।लेकिन आपने कभी सोचा है की क्या हो अगर एक लड़की किसी दूसरी लड़की की तरफ आकर्षित होने लगे या एक लड़का किसी दूसरे लड़के की तरफ आकर्षित होने लगे। ऐसे ही प्यार को समाज समलैंगिक कहता है।आज दुनिया में रिश्तों की सच्चाई इतनी बदल गई है कि साथ होकर भी,पास बैठकर भी आपकी आंखों में आंखें डालकर लोग झूठ बोल रहे हैं और आप भी सिर्फ देख ही रहे हैं। मगर कहीं ना कहीं रिश्तों को बचाने की खातिर कुछ कर नहीं पा रहे हैं?

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