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डॉक्टर अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा,आर्थिक क्रांति के जनक, बेजोड़ विद्वान थे : शिक्षाविद रामदुलार यादव

Ghaziabad : ड़ा0 अंबेदकर जन-कल्याण परिषद उ0प्र0 द्वारा आयोजित सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक क्रांति के पुरोधा ड़ा0 भीम राव अम्बेद्कर का जन्म-दिन समारोह का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ सत्योदय बुद्ध विहार ड़ा0 अम्बेद्कर पार्क जी0 टी0 रोड लाजपत नगर, साहिबाबाद के प्रांगण में आयोजित किया गया, संस्था के महासचिव राज कुमार जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, समाजवादी पार्टी जिला गाजियाबाद के निवर्तमान महासचिव वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, चन्द्र बली मौर्य समाज सेवी के साथ सैकड़ों महिलाओं, नवजवानों, विद्वानों और बाबा साहेब के अनुयायियों ने मूर्ति पर माल्यार्पण कर तथा पुष्प अर्पित कर ड़ा0 अम्बेद्कर को स्मरण किया, तथा उनके द्वारा दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया, गगन-भेदी नारे लगाए गए, जब तक सूरज चाँद रहेगा, बाबा तेरा नाम रहेगा, कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राम दुलार यादव शिक्षाविद, समाजवादी चिंतक ने पुष्प, मूर्ति पर अर्पित कर ड़ा0 बाबा साहेब अम्बेद्कर को याद किया, समारोह में प्रसाद खीर, फल, मिष्ठान वितरित किया गया, भव्य समारोह उत्सव जैसा लग रहा था| 
      समारोह को संबोधित करते हुए समाजवादी चिंतक, शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि ड़ा0 भीम राव अम्बेद्कर जैसे विद्वान, सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा, आर्थिक क्रांति के जनक, भारत रत्न, कानूनविद सदियों में पैदा होते है, उन्होने सामाजिक असमानता, छुवाछूत, शोषण, अन्याय, अत्याचार खुद जब वह स्कूल में पढ़ते थे और बड़े ओहदे पर थे, तब झेला था, उन्होने विचार किया कि मै इतना शिक्षित और बड़े पद पर हूँ उसके बाद भी मै असमानता, अन्याय, शोषण का शिकार हूँ, तो वंचित, दलित, शोषित वर्ग जिनकी आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक स्थिति दयनीय है, उनके साथ कैसा वर्ताव समाज में हो रहा होगा, मै जीवन भर उनके लिए कार्य करूंगा, तथा उनके अंधकारमय जीवन में प्रकाश-किरण शिक्षा के रूप में आये ऐसी व्यवस्था करूंगा, उनका मानना था कि "स्वाभिमानी लोग संघर्ष कि परिभाषा समझते है, जिनका स्वाभिमान मरा होता है वह गुलाम होते है, मुर्दा लोग मिशन नहीं चलाते, जिंदा लोग मिशन को रुकने नहीं देते" | भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की, समता, स्वतन्त्रता, न्याय और बंधुता, सम्मान जनक गौरवशाली जीवन जीने, भारत के सभी नागरिकों के उत्थान के लिए काम किया, सामाजिक समानता के बिना राजनैतिक आजादी अधूरी है| उन्होने कहा कि धार्मिक पाखंड, जाति अहंकार सामाजिक बुराई है, छुवाछूत तो गुलामी से भी बढ़कर है, इसका समूल नाश करके ही समतामूलक समाज बन सकता है, उन्होने कहा कि शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो के मूल मंत्र को जीवन में उतारो, बाबा साहेब ड़ा0 अम्बेद्कर का कहना है कि आपका भला परिश्रम, लगन और ज्ञान से हो सकता है, मै इस कारवां को बहुत ही कठिन परिश्रम करके यहाँ तक ले आया हूँ, इसे यदि आगे नहीं ले जा सकते तो यहीं रोक देना, पीछे मत ले जाना, आज हमें इस अवसर पर संकल्प लेना है कि हमें उनके विचार पर चलते हुए संविधान की रक्षा के लिए तैयार रहना है, क्योकि आज संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर हमला, विधायिका, कार्यपालिका, न्याय पालिका को प्रभावित किया जा रहा है, लोकतन्त्र पर प्रहार हो रहा है, जन-जन को यह समझने की आवश्यकता है जिन शक्तियों द्वारा समाज, देश में पाखंड, नफरत, ईर्ष्या, द्वेष, असहिष्णुता का वातावरण बनाया जा रहा है उनसे सावधान रहते हुए समाज में सद्भाव, भाईचारा, प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ाना ड़ा0 अम्बेद्कर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी| 
         कार्यक्रम में भाग लिया, राम दुलार यादव, राज कुमार, वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, चंद्रबली मौर्य, एस0 एन0 जायसवाल, रमेश गौतम, ओमपाल जाटव, संजय यादव, मंजू देवी, सोनवती, हीरा देवी, गिरिजा देवी, दुलारी, जगत राज, अनुरागी, संतोष पाण्डेय, विनोद, दीपक तोमर, श्याम, महेश कुमार, ड़ा0 देवकर्ण, एस0 एन0 अवस्थी, अवधेश यादव, सम्राट सिंह, मुनीव यादव, अमर बहादुर, गुड्डू यादव, सुरेन्द्र, सुभाष आदि प्रमुख रहे| 

                                                                                                                                       

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