डी ए वी के संस्थापक महात्मा हंसराज पर गोष्ठी संपन्न
गाजियाबाद,,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में डी ए वी के संस्थापक महात्मा हंसराज के जन्मदिन के उपलक्ष्य में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह करोना काल से 525 वाँ वेबिनार था।
मुख्य वक्ता डॉ. नरेंद्र आहूजा विवेक (पूर्व राज्य ओषधि नियंत्रक हरियाणा) ने कहा कि महात्मा हंसराज श्वेत वस्त्र धारी सर्वस्व त्यागी सन्यासी थे। महात्मा हंसराज ने नवीन और प्राचीन को जोड़ कर शिक्षा के साथ संस्कार देने वाली आंदोलन के रूप में डी ए वी की शिक्षा प्रणाली देश को दी।स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त राष्ट्र के नीति नियन्ताओं के समक्ष तीन प्रकार की शिक्षा प्रणालियां उपलब्ध थी प्रथम स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा स्थापित गुरुकुलीय शिक्षा, महात्मा हंसराज द्वारा नवीन और प्राचीन के समन्वय से स्थापित डी ए वी शिक्षा और तीसरी हमारे राष्ट्र को मानसिक गुलाम बनाने के उद्देश्य से लार्ड मैकाले द्वारा दी गई मैकाले की शिक्षा व्यवस्था। लेकिन ना जाने क्यों हमारे राष्ट्र के उस समय के नेताओं ने मैकाले की शिक्षा प्रणाली को हमारे राष्ट्र के लिए चुन लिया और शायद इसलिए आज स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्षों के बाद भी हमारा राष्ट्र गम्भीर व्याधियों से ग्रस्त हो गया और जब भी किसी ने शिक्षा को उसकी पुरातन आर्ष भारतीय हिन्दू शिक्षा प्रणाली को अपनाने का प्रयास किया तो उसे शिक्षा का भगवाकरण बता कर खारिज कर दिया गया।
मुख्य अतिथि ओम सपरा (पूर्व मेट्रो पोलेटिन मैजिस्ट्रेट) व अध्यक्ष ईश आर्य हिसार ने भी महात्मा हंसराज जी कि शिक्षाओं को जीवन में धारण करने का आह्वान किया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि राष्ट्र की नीव शिक्षित समाज से ही मजबूत होगी।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन कियाI
गायिका अंजू आहूजा, ईश्वर देवी, जनक अरोड़ा, सरला बजाज, सुदेश आर्य, कमलेश चांदना, कुसुम भंडारी, प्रतिभा कटारिया, कौशल्या अरोड़ा आदि के मधुर भजन हुए।
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