महिला सुरक्षा कार्यक्रमों, राजस्व और विभागीय समीक्षा का केंद्र बिंदु बनेंगी ग्राम पंचायतेंः सीएम योगी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश असीमित संभावनाओं वाला प्रदेश है। इन संभावनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में तेजी से काम किया जा रहा है। ऐसे में हर ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय के निर्माण का कार्य अंतिम दौर में चल रहा है। जल्द ही हर ग्राम पंचायत का अपना सचिवालय होगा। इन ग्राम सचिवालय में कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है, जहां इससे जुड़े गांव के हर व्यक्ति की आय, निवास, जाति, जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र देने की सुविधा होगी। इतना ही नहीं यहां बीसी सखी के बैठने की व्यवस्था भी होगी। इसके साथ ही ग्राम पंचायत, मिशन शक्ति के तहत चलाए जा रहे महिला सुरक्षा संबंधी कार्यक्रम, राजस्व, सभी विभागों की समीक्षा का केंद्र बिंदु होगा। 56 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में बैंकिंग लेनदेन के कार्यक्रम को तेजी के साथ आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में बीसी सखी की शुरुआत की थी। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ग्राम पंचायत स्तर पर डिजिटल लेनदेन के प्रोत्साहन के लिए 'समर्थ 2023' के शुभारंभ एवं बीसी सखी के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्धाटन समारोह में कही। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज गिरिराज सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा ग्रामीण विकास साध्वी निरंजन ज्योति, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश की राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम आदि उपस्थित थे।
*कोरोना काल में बीसी सखी की हुई थी शुरुआत*
सीएम योगी ने कहा कि भ्रष्टाचार पर प्रहार करना है तो हमें डिजिटल ट्रांजैक्शन की ओर जाना होगा। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में अभियान चलाकर जनधन अकाउंट खोले गये। आज प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान, प्रधानमंत्री आवास, मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ डीबीटी के माध्यम से 3.30 लाख करोड़ रुपए सीधे लाभार्थी के अकांउट में भेजे गये हैं। जबकि यह कुल राशि लगभग साढे़ तीन लाख करोड़ के आस-पास है, जो यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश डिजिटल ट्रांजैक्शन के क्षेत्र में पूरे देश में अग्रणी है। सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में बीसी सखी की शुरुआत की थी। प्रदेश में लगभग 56000 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें से 55,056 ग्राम पंचायतों में बीसी सखी के चयन की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। करीब 51000 बीसी सखी को ट्रेनिंग दी गयी है। इसमें से 41000 बीसी सखी अपना काम कर रही हैं, जिन्होंने अब तक पांच करोड़ 57 लाख से अधिक का ट्रांजैक्शन किया है। इतना ही नहीं बीसी सखियों ने गांव के बुजुर्गों की मदद के साथ लोगों को लोन दिलाने में भी अहम भूमिका निभायी है। प्रदेश में बीसी सखियां ना केवल महिला सशक्तिकरण का एक आदर्श उदाहरण हैं, बल्कि हर गांव में बैंक की एक स्वयं मिनी ब्रांच बन करके गांव में लेनदेन के सारे कार्यक्रम को संपन्न कर रही हैं। सीएम योगी ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में साढ़े 54 लाख गरीबों को एक-एक आवास की सुविधा देने में हमने सफलता प्राप्त की है।
*बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण*
सीएम योगी ने कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ हर तबके तक पहुंचाया जा रहा है। पहले इन योजनाओं का लाभ प्रदेशवासियों को नहीं मिल पाता था क्योंकि इन योजनाओं के धरातल में उतरने से पहले ही बंदरबांट हो जाती थी। लेकिन आज एक क्लिक से डायरेक्ट लाभार्थी के खाते में पैसे भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासन की योजना का लाभ अंतिम पायदान पर बैठे हुए व्यक्ति तक बिना किसी रुकावट, बैरियर के देना ही सुशासन का लक्ष्य है। यही रामराज्य की अवधारणा है। आज सफलतापूर्वक देश के गांव गांव में हर नागरिक को जनकल्याणकारी योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें बड़ी भूमिका बीसी सखियों की है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन प्रदेश में प्रधानमंत्री के विजन को जमीनी धरातल पर पहुंचाने और अन्य सेक्टर्स को इससे जोड़ने में सहायक होगा क्योंकि अभी तो बीसी सखी केवल बैंकिंग लेनदेन का काम कर रही हैं जल्द ही अन्य कार्यों में अपनी भागीदारी के जरिये सफलता की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ेंगी। उत्तर प्रदेश देश में पहला ऐसा राज्य है जहां महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से हर घर और जरूरतमंद तक पोषाहार वितरित किया जा रहा है, जबकि अन्य प्रदेशों में आंगनबाड़ी कार्यकत्री ये काम कर रही हैं। झांसी और बुंदेलखंड में काम कर रहीं बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उहाहरण है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी। वर्तमान में इसका ट्रांजैक्शन अकल्पनीय है। सीएम ने कहा कि लोग सोच ही नहीं सकते हैं कि महिलाएं भी इस दिशा में कार्य कर सकती हैं।
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