परिणय प्रीति प्रगाढ़ प्रेम पावन परिचायक ।
शेष महेश सुरेश नगेश गणापति नायक ।।
वसुधा पावक वारि पवन अम्बर ध्रुव तारा ।
सबका है आभार हृदय की गहराई से ।
किया आपने शैल, हमें छोटे राई से ।।
हम पर स्नेहाशीष सदैव सहर्ष लुटाएँ।
रीमा-अवध अशेष विशेष अभेद कहाएँ ।।
वंश प्रवर अरु गोत्र विलग राही अनजाने ।
सात जन्म के लिए अटल शुचि बंध बहाने ।।
पावन परिणय पर्व सदैव निभाना होगा ।
अवध न जाए हार, अवधपति! आना होगा ।।
रीमा-अवधेश
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