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उत्तर प्रदेश जीत से बढ़ा आदित्यनाथ योगी का कद,लेकिन नोटा को भी ना करें नजरअंदाज: बी के शर्मा हनुमान जी

Ghaziabad : विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि प्रत्याशी पसंद न आने पर चुनाव आयोग ने नोटा की व्यवस्था इसलिए की है कि मतदाता को यदि कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है तो वह अपने मत को प्रकट कर सके लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसके प्रयोग पर एक बार विचार जरूर किया जाना चाहिए। नोटा से आशय है, मतदाता को चुनाव लड़ रहा कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है। यह एक गंभीर तथ्य है कि इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या पिछले चुनाव की तुलना में 44 हजार बढ़ी है। पिछली बार सवा लाख मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था, इस बार यह संख्या एक लाख 69 हजार हो गई है। मतदाताओं ने नोटा का उपयोग जरूर किया और उससे प्रत्याशियों के प्रति उनके आक्रोश का प्रकटीकरण भी हुआ लेकिन उनके क्षेत्र से कोई न कोई तो चुनाव जीता ही। एक और तथ्य विचार के लायक है कि प्रत्याशियों के प्रति लोगों में उदासीनता का भाव आखिर बढ़ क्यों रहा है। नगरीय निकाय चुनाव में इस बार पहले की तुलना में कम मतदान हुआ है और कुछ क्षेत्र तो ऐसे रहे जहां मात्र 15 प्रतिशत मत लेकर ही उम्मीदवार जीत गया। यह प्रत्याशियों एवं भाजपा के लिए सोचने का विषय है कि वे भरोसा क्यों हासिल नहीं
कर पा रहे हैं। कहीं उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण तो नाराज नहीं है!............

 हालांकि उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में भाजपा ने सभी 17 नगर निगमों में विजय हासिल की और पार्टी का महापौर चुना गया। इस ऐतिहासिक जीत ने यकीनन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद और बढ़ा दिया है। इस जीत के बड़े मायने हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे योगी मजबूत होंगे तो भाजपा में भी योगी का प्रभाव और बढ़ेगा। राष्ट्रीय स्तर पर उनकी स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। चुनाव परिणामों के बाद योगी आदित्यनाथ जिंदाबाद के नारों से उत्तर प्रदेश गूंज उठा, यह भाजपा के लिए एक संकेत है। उत्तर प्रदेश में योगी का जादू चला है

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