Ghaziabad : विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि जब तक ब्राह्मण कांग्रेस के साथ रहे, देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और जब कांग्रेस ने ब्राह्मणों को हाशिया में लाने की कोशिश की तो 2 बार मायावती की सरकार बनी और इसके बाद लगातार ब्राह्मण भाजपा का झंडा बुलंद कर रहे है, लेकिन कुछ समय से ऐसा लग रहा है कि भाजपा भी ब्राह्मणों को हाशया पे ला रही है। भाजपा सोचती है कि ओबीसी ही भाजपा को सत्ता में लाने के लिए काफ़ी है, ब्राह्मण तो उनके बंधवा वोटर हो गये, उनकी कहीं और जाने के हैसियत नहीं है।उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में भाजपा की ब्राह्मणों के प्रति सोच खुलके सामने आ गई। पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भाजपा ने ब्राह्मण विहीन कर दिया, महापौर सीट एवं बाफ़ी नगर पालिकाओं में ब्राह्मण को एक भी टिकट नहीं दिया गया। इतना ही नही , पार्षदों में भी ब्राह्मणों की हैसियत 5% कर दी जबकि ओ बी सी जातियों को अधिकांश टिकट दे दी।
इतना ही नहीं, महापौर पद की सीट भी ब्राह्मण से चीन ली। हम किसी व्यक्ति के बारे में बात करने नहीं आये, हम आपके सामने ब्राह्मीण समझ कि बात करने आये है, हम जातिवाद की भी बात करने नहीं आये, हम अपने मान सम्मान की बात करने आए है और हद तो तब हो गई कि जिन 6 ब्राह्मणों को पार्षद पद का टिकट मिला, उनमें से एक कवीनगर है, इसमें वैश्य समुदाय के लोगो ने भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी को हराने के लिए निर्दलीय वैश्य को वोट देने की अपील अख़बारों के माध्यम से की और कहा कि वैश्य की सीट ब्राह्मण नहीं ले सकता, तो फिर ब्राह्मण की सीट वैश्य कैसे चीन सकता है? ब्राह्मणों का वोट संख्या वैश्यों से ज़्यादा ही है, कम नहीं है।दूसरा उदाहरण त्यागी समझ का है, त्यागी समझ को 16 पार्षद की सीट मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अख़बार में ज्ञापन चलवा के नोटा दबाने की बात कही।तो क्या ब्राह्मण समझ का अस्तित्व समाप्त किया जा रहा है?सत्य ये है कि प्रदेश की 50 प्रतिशत ब्राह्मण आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे है, नौकरी ब्राह्मण को मिलेगी नहीं, ब्राह्मण बाहुबली है नहीं, राजनीति में आप उसको किनारे करदो, यह अपमान बिलकुल भी बर्दाश नहीं होगा।
भाजपा संगठन के प्रदेश या राष्ट्र स्तर के किसी नेता ने अगर ब्राह्मणों को अस्वस्त नहीं किया, तो ब्राह्मण वोटर इस निकाय चुनाव में नोटा दबायेंगे।
यूपी में ब्राह्मण राजनेता व ब्राह्मण मतदाता का प्रभाव उत्तर प्रदेश की राजनीतिक यात्रा में ब्राह्मण राजनेताओं के प्रभाव को देखे तो इसे ब्राम्हण काल और गैर ब्राम्हण काल में बांट कर देखा जा सकता है. यूपी में ब्राह्मण काल आजादी के बाद से लेकर 1989 तक माना जाता है. इस अवधि में 39 साल तक ब्राह्मणों ने प्रदेश की सत्ता को संभाला. इस दौरान छह ब्राह्मण मुख्यमंत्री प्रदेश की सत्ता पर बैठे.जिनमे गोविंद वल्लभ पंत दो बार गद्दी पर बैठे, सुचेता कृपलानी एक बार मुख्यमंत्री रहीं. कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा एक-एक बार मुख्यमंत्री रहे, जबकि नारायण दत्त तिवारी तीन बार मुख्यमंत्री बने और श्रीपत मिश्रा एक बार मुख्यमंत्री बने. जबकि गैर ब्राह्मण काल 1989 से लेकर 2022 तक माना जाता है. इस अवधि में प्रदेश में कोई भी ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं रहा .इस दौरान बीजेपी ने 4 मुख्यमंत्री दिए जिसमें दो ठाकुर ,एक बनिया, 1 लोध थे .वहीं इसी अवधि में मायावती चार बार मुख्यमंत्री बनी. जबकि मुलायम सिंह यादव तीन बार मुख्यमंत्री बने.
यूपी की सत्ता में कांग्रेस को बनाए रखने में ब्राह्मणों में अहम भूमिका निभाई. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि 1989 तक यूपी के ब्राह्मणों का कांग्रेस पर भरोसा था. तब से यूपी की सियासत पर कांग्रेस काबिज होती रही है. हालांकि इस दौरान अधिकांश बार कांग्रेस की तरफ से ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1990 के दशक में ब्राह्मणोंं का झुकाव बीजेपी की तरफ होने लगा. जिसमें बीजेपी की राममंदिर यात्रा ने अहम भूमिका निभाई. इससे कांग्रेस का झटका लगा और कांग्रेस आज तक यूपी की सियासत पर वापस नहीं लौटी है.उत्तर प्रदेश में सत्ता पाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल के ऊपर ब्राह्मण मतदाताओं की कृपा होना जरूरी माना जाता है. प्रदेश में भले ही बाहर 12 फीसदी ब्राह्मण आबादी है. लेकिन इस आबादी का 12 जनपदों की 62 विधानसभा सीटों पर सीधा असर है. जो हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं. इन जिलों में वाराणसी ,महाराजगंज गोरखपुर, देवरिया ,भदोही, चंदौली ,जौनपुर, बस्ती संतकबीरनगर, अमेठी, बलरामपुर ,कानपुर, प्रयाग राज शामिल हैं. जहां ब्राह्मण मतदाता प्रत्येक सीट पर 15 फीसदी से ज्यादा हैं. जो किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत का फैसला करते हैं. इस अवसर पर पंडित जय प्रकाश शर्मा खेमावती वाले विधानसभा अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा पंडित जगदीश शर्मा जिला उपाध्यक्ष पंडित राकेश शर्मा सिहानी वाले जिला अध्यक्ष पंडित शिवकुमार शर्मा महामंत्री पंडित गौरव शर्मा प्रचार मंत्री पंडित प्रेम चंद शास्त्री महामंत्री गाजियाबाद पंडित ओमपाल शर्मा पंडित महेश शर्मा उपाध्यक्ष पंडित राम निवास शर्मा प्रचार मंत्री पंडित सतवीर शर्मा कार्यकारी अध्यक्ष पंडित महेश कुमार शर्मा संस्थापक कार्यकारी अध्यक्ष विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा मौजूद थे
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