Ghaziabad : श्री राम कथा में आज छटवे दिन बृहस्पतिवार को पं• श्री कृष्ण प्रताप तिवारी जी (चित्रकूट धाम वाले) जी के श्री मुख से श्री राम कथा की अमृत वर्षा करते हुये बताया कि राम जानकी के विवाह व तथा । सभी भाइयों के विवाह भी साथ करवा दिये और छे महीने जनकपुर में बिता कर श्री जनक जी ने दशरथ समेत सब को विदा किया और अयोध्या में भगवान राम और माता सीता का भव्य स्वागत हुआ पूरा भूमंडल ख़ुशियों से भर गया । कुछ दिनो बाद वसिष्ठमुनि ने राजा दशरथ से कहा की राम अब बड़े हो गये है । क्योंना इनका राज तिलाक कर दिया जाये । राजा दशरथ ख़ुश होकर अपनी रानियो से बताने चले गये । वह पर जब माता कोशल्ल्या को बताया तो बहुत ख़ुश हुई परन्तु केकई ने राजा से अपने वचन माँगने की बात बतायी । राजा दशरथ ने कहा की अपने वचन माँगो रानी तो केकई ने राम को चोदह वर्ष का बनवाश और भारत को राज तिलक जिसे सुनकर राजा दशरथ मूर्च्छित हो गये होश आया तो रानी से बिनती की कुछ और माँग लो परन्तु केकई नहीं मानी ।और राम जी को वनवास हो गया ।साथ में लक्ष्मण व सिताजी भी साथ चल दीये पूरे राज्य में कोहराम मच गया ।परंतु राम जी की लीलाये ही ऐसी थी की तीनो राजपाठ छोड़कर वन की तरफ़ चल दिये।जब बाहर निकले तो राजा दशरथ ने रोते हुए अपने प्राण त्याग दिए भरत अपने ननिहाल में थे.उनको बुलाया गया जब भरत जी आए तो उनको पूरी बात पता चली।वो बहुत रोए और कहने लगे मैं अपने बड़े भाई को मनाकर लाउँगा मैं राजगद्दी पर नहीं बैठूँगा। राम सीता लक्ष्मण चित्रकूट के वनो में आ गए ।उपस्थित:-निगम पार्षद राजीव भाटी,छोटे लाल तिवारी,युग गुर्जर,हरी अग्रवाल,राधे श्याम,गोपाल दत्त शर्मा,सरदार राठी,प• विध्यभूषण गर्ग,हर्ष पंडित,अंकित राजपूत,निक्की शर्मा समस्त सकड़ो क्षेत्रवासियों ने कथा में हिस्सा लिया।
0 टिप्पणियाँ