Ghaziabad : आप अपनी मर्जी के मालिक हैं। आपकी जो मर्जी, सो करें। मर्जी न हो तो मत करें। आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। किंतु अगर आपकी मर्जी, किसी अन्य की मर्जी से टकराएगी तो घर्षण अवश्य होगा, विरोध व रगड़ा-झगड़ा भी हो सकता है। कारण साफ है। जैसे आप अपनी मर्जी के मालिक हैं वैसे ही दूसरे भी मर्जी के मालिक हैं। मर्जी से मर्जी मिले तो रजामंदी अन्यथा सिरदर्दी। मर्जी से मर्जी न टकराये इसीलिए विधान बनाए जाते हैं। इस हेतु ही स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में भेद समझाए जाते हैं। मनमर्जी पर पाबंदी लगाई जाती है। अतः स्वानुशासन सबसे प्रभावी और अचूक उपाय है। ध्यान रहे कि अपने-अपने अधिकार के अधिकारी सभी हैं। जब कभी अपने कर्त्तव्य निभाकर अधिकार का प्रयोग करेंगे तो अनुपम खुशी मिलेगी। आप भी, वे भी, मैं भी।
डॉ अवधेश कुमार अवध
साहित्यकार व अभियंता
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