Ghaziabad : विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि हमने 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया यह देखना सुखद है कि एक नए भारत का निर्माण तेजी से हो रहा है। यह नया भारत आत्मविश्वास से भरा है और अपने उज्ज्वल भविष्य के प्रति कहीं अधिक आशावान है। इसी कारण यह भावना प्रबल हो रही है। कि आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होने को है। इस सपने की समय रहते और सही तरह से साकार करने के लिए यह आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है कि हम सब भारतीय शांति और सद्भाव को सर्वाधिक महत्व दें और जितना सजग अपने अधिकारों को लेकर रहें उतना ही उन कर्तव्यों को लेकर भी, जो एक नागरिक के रूप में वांछित हैं। जितना समर्पण हमें देश की एकता और अखंडता के प्रति प्रदर्शित करना होगा उतना ही बंधुत्व और सामाजिक समरसता के लिए भी । इससे ही भारत एक सबल और सक्षम देश बनेगा तथा विश्व में अपनी और स्पष्ट छाप छोड़ने में समर्थ होगा। आज कोई इससे इन्कार नहीं कर सकता कि विश्व पटल पर भारत की धाक बढ़ी है। विश्व समुदाय भारत को न केवल एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में देख रहा है, बल्कि उससे प्रेरणा भी प्राप्त कर रहा है। आज ऐसा कोई वैश्विक मंच नहीं जहां भारत की भागीदारी आवश्यक न समझी जा रही हो ।किसी भी देश की दशा-दिशा तब बदलती है, जब वहां के नीति- नियंता और साथ ही वहां की आम जनता एकजुट होकर अपने तय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समर्पित होती है। यह समर्पण ही समाज और राष्ट्र को उन्नति की ओर ले जाता है। स्वतंत्रता के अमृतकाल के अवसर पर यह जो कहा जा रहा है कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सकता है, वह कोरी कल्पना नहीं, बल्कि ऐसा लक्ष्य है जिसे प्राप्त किया जा सकता है। इससे अच्छा और कुछ नहीं कि औसत भारतीय भी इस भाव से भरे हैं कि अब विकसित भारत के सपने को साकार करना संभव हो गया है। यह भाव और अधिक प्रबल हो सकता है यदि हमारा राजनीतिक वर्ग राष्ट्र के उत्थान के लिए कुछ साझा लक्ष्य निर्धारित करें और दलगत राजनीति से परे हटकर जनकल्याण और राष्ट्रीय हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। यही प्राथमिकता हमारे प्रशासनिक तंत्र की भी होनी चाहिए। जब ऐसा होगा तब स्वाभाविक रूप से आम नागरिक भी अपने राष्ट्रीय दायित्वों के निर्वहन के लिए और अधिक प्रतिबद्ध होंगे।
0 टिप्पणियाँ