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उपनयन संस्कार जीवन निर्माण की आधारशिला है-डा आरके आर्य


युवा यज्ञोपवीत संस्कार समारोह धूमधाम से सम्पन्बीड़ी -सिगरेट,अंडा मांस,शराब तथा गुटके से दूर रहने का कराया संकल्प- महेन्द्र भाई

ग़ाज़ियाबाद:- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद एवं शंभू दयाल दयानन्द वैदिक सन्यास आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में सन्यास आश्रम दयानन्द नगर में आयोजित युवा संस्कार अभियान के अन्तर्गत युवा संस्कार समारोह में युवकों को यज्ञोपवीत धारण कराया गया।स्वदेशी आयुर्वेद के निदेशक डा आरके आर्य ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया,उन्होंने कहा कि व्यक्ति का निज जीवन समाज के लिये आदर्श होना चाहिये,आपके जीवन को देखकर ही व्यक्ति आपके अनुगामी बनेंगे।उपनयन का अर्थ है समीपता को प्राप्त करना,आचार्य की समीपता को प्राप्त करके बालक शिक्षा द्वारा अपने जीवन को समुन्नत करता है,शिक्षा व्यक्ति को काम करने में समर्थ बनाती है।उपनयन संस्कार जीवन निर्माण की आधारशिला है यज्ञोपवीत के तीन धागे स्वजीवन को समुन्नत बनाना तथा राष्ट्र के लिये भावी सन्तति समुन्नत बना कर देने के व्रत का प्रतीक हैं।प्रत्येक भारतीय का यह संस्कार होना चाहिये जिससे राष्ट्र में सद्चरित्र शिक्षित नागरिक उपलब्ध हो सकें।
यज्ञ के ब्रह्मा डा भगवान देव आचार्य ने यज्ञोप्रांत कहा कि सदा से ही युवा पीढ़ी समाज सुधार करती आई है ओर आज भी करना होगा समाज में फैली हर बुराई को दूर करने का बीड़ा उठाना होगा।अब चाहे वे बुराईयाँ  दैहिक हों,दैविक हों,मानसिक हों, सामाजिक हों,भौतिक हों या फिर  राजकीय हों,आज कल के युवकों को हम शिक्षा तो दे रहे हैं पर दिशा नहीं आज युवकों को सही दिशा का ज्ञान अपने कर्तव्यों का ज्ञान सुचारू रूप से होना बहुत आवश्यक है।उन्होंने कहा कि संस्कारित एवं देश भक्त युवकों का निर्माण आर्य समाज करेगा।

मुख्य वक्ता आचार्य महेंद्र भाई ने  युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुये कहा कि यज्ञ से त्याग व उपकार की भावना जागृत होती है यज्ञोपवीत हमारी पुरातन गौरवशाली संस्कृति का आधार है।समारोह में आर्य जनों ने भाग लेकर महर्षि दयानन्द के पदचिन्हों पर चलने,नशा मुक्त समाज की स्थापना करने, एवं बीड़ी -सिगरेट,अंडा मांस,शराब तथा गुटके से दूर रहने का संकल्प लिया।

 परिषद के प्रांतीय मंत्री एवं संयोजक  प्रवीण आर्य ने कहा कि धर्म समाज को जोड़ता है,तोड़ता नही,वैदिक धर्म सर्वे भवन्तु सुखिनः की बात करता है।पारिवारिक सद्भावना के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता, समाज का उत्थान-राष्ट्र का उद्धार नहीं हो सकता।श्रेष्ठ संस्कारों से ही युवा पीढ़ी उत्थान के शिखर पर पहुंच सकती है।

विशेष आमंत्रित पार्षद नीरज गोयल का आश्रम द्वारा स्वागत किया गया उन्होंने कहा कि संस्कारों से ही व्यक्ति महान बनता है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि चौधरी मंगल सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि चरित्रवान युवक ही राष्ट्र विरोधी ताकतों का मुकाबला कर सकते हैं क्योंकि चारित्रिक बल  सबसे बड़ा बल होता है।युवकों को जीवन मे समयबद्धता,अनुशाशन,माता पिता के आज्ञाकारी, आत्मविश्वासी, संकल्पवान ओर देशभक्त होना चाहिये।ऐसे देश भक्तों का आर्य युवक परिषद निर्माण करती है।चरित्र निर्माण समाज की महती आवश्यकता है।

आश्रम के उपाध्यक्ष स्वामी सूर्यवेश ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा की आज फिर समाज में पाखंड और अन्ध विश्वाश बढ़ रहे है जिसका भोले भाले लोग शिकार हो जाते है आर्य जनो को चाहिए की वो समाज में इन बुराइयों को दूर करने के लिए मैदान में आगे आएं।उन्होंने आगे कहा की आर्य समाज का आजादी में महत्त्व पूर्ण योगदान रहा है अब आर्य जनों को राष्ट्र रक्षा के लिये तैयार रहना होगा।

गायिका वीना वोहरा,विभा भारद्वाज,नरेश चन्द्र आर्य, शिशु पाल सिंह एवं सौरभ गुप्ता द्वारा गाये गए अद्भुत भजनों ने लोगों को झूमा दिया।

समारोह को सफल बनाने में अश्रमाचार्य जितेन्द्र आर्य,सुरेश आर्य,प्रमोद चौधरी,यज्ञवीर चौहान, राहुल आर्य, प्रद्योत पाराशर,माता पद्मा शर्मा आदि का विशेष योगदान रहा । 

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री भूपेन्द्र सिंह,यशपाल धामा,वेद व्यास,एनके आर्य, सुभाष शर्मा,विजय कुमार, वीके धामा,आशा आर्या आदि उपस्थित हुए। शांतिपाठ एवं ऋषि लंगर के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।


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