बता दें कि 2009 में गुर्जर समाज ने आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में आंदोलन शुरू किया था उस आंदोलन को गाजियाबाद में भी गुर्जर समाज के लोगों ने अपना समर्थन दिया था, आंदोलन में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गुर्जर समाज के नेताओं के ऊपर मुकदमे दर्ज हुए थे उन मुकदमों में आज भी तमाम लोग अदालत के चक्कर लगा रहे हैं आरोप है कि तत्कालीन सरकार के अधिकारियों ने मनमाने तरीके से गुर्जर समाज के लोगों के ऊपर दुर्भावना वश झूठे मुकदमे दर्ज किए थे जो लोग आंदोलन स्थल पर भी मौजूद नहीं थे उनको भी उनके घरों से जबरन उठाकर जेलों में बंद कर दिया था, झूठे मुकदमों को वापस लेने की मांग को लेकर गुर्जर समाज के लोगों ने कई बार आंदोलन भी किए थे लेकिन कई सरकार बदलने के बावजूद आज तक भी गुर्जर आंदोलन में दर्ज हुए मुकदमे सरकार ने वापस नहीं लिए हैं जबकि राजस्थान सरकार ने अपने यहां गुर्जर आंदोलन में दर्ज सभी मुकदमों को वापस ले लिया था उस दौरान गुर्जर समाज के प्रतिनिधि मंडल में शामिल नेताओं व सरकार के लोगों के बीच यह सहमति भी बनी थी कि इस आंदोलन में देशभर में दर्ज हुए सभी मुकदमे वापस लिए जाएंगे लेकिन गाजियाबाद में गुर्जर समाज के बेगुनाह लोगों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमें वापस नहीं लिए गए हैं सोमवार को इसी आंदोलन के केस में तारीख थी जिसमें ईश्वर मावी, पप्पू पहलवान, राज सिंह मावी, हरवीर कसाना, अनिल चपराना, धीरज धामा, सुरेंद्र कसाना व विनोद नागर सहित करीब डेढ़ दर्जन लोग न्यायालय में पेश हुए।
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