Hot Posts

6/recent/ticker-posts

मित्र ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डुबकर ही पाया जा सकता है! मित्रता करना तो आसान है, लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल:बीके शर्मा हनुमान जी

Ghaziabad : विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि मित्रता की तलाश मानव जाति की सहज वृत्ति है। एक सच्चे मित्र की प्राप्ति उसका सौभाग्य है। मित्रता मन की प्यास है, जिसके लिए मनुष्य तड़पता रहता है और वह बड़ा ही भाग्यवान है, जिसकी प्यास बुझ जाती है। इसलिए मित्रता का बड़ा ही गुणगान किया गया है। यदि मित्रता असली हो तो वह स्वर्गीय प्रकाश है और नकली हो तो नारकीय अंधकार। मित्रता वह बंधन है, जो दो समान विचार वालों को परस्पर साथ ला देता है। एक-दूसरे के सुख-दुख का साथी बना देता है। संस्कृत के महान कवि भर्तृहरि ने कहा है-जो सुख तथा दुख में साथ दे तथा समान क्रियावाला हो, उसे मित्र कहते हैं।
मित्र ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डूबकर ही पाया जा सकता है। कहते हैं सच्चा प्रेम दुर्लभ है और सच्ची मित्रता उससे भी दुर्लभ । इस प्रकार सच्ची मित्रता जीवन का वरदान है। एक सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात होती है। सच्चा मित्र मनुष्य की सोई किस्मत को जगा सकता है और भटके को सही राह दिखा सकता है। ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा - जो तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ देता है, बस वही मित्र है।
मित्रता करना तो आसान है, लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल। दुख की बात है कि आज मित्रता का दुरुपयोग होने लगा है। कुछ लोग अपने सीमित स्वार्थों की पूर्ति के लिए मित्रता का ढोंग रचते हैं। मित्र जो केवल काम निकालना जानते हैं, जो केवल सुख के साथी हैं और जो वक्त पड़ने पर बहाना बनाकर किनारे हो जाते हैं वे मित्रता को कलंकित करते हैं। कपटी मित्र बड़े घातक होते हैं। उनकी मित्रता केवल शब्दों की मित्रता होती है। ऐसे दगाबाज मित्रों के भावों में धोखा होता है, किंतु भाषा में सरलता रहती है। मित्रता जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है। गांधी जी ने कहा था-मित्रता की परीक्षा विपत्ति में दी गई मदद से होती है और वह मदद बिना शर्त होनी चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ