आरटीई के दाखिलों पर बाल आयोग हुआ सख्त - जीपीए
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 ( आरटीई ) के अंतर्गत चयनित बच्चों के दाखिलों के लिये जी जान से प्रयास कर रही है जिसका एक और उदाहरण सामने आया पीड़ित अभिभावक की पुत्री का चयन मॉर्च महीने में दिल्ली पब्लिक स्कूल , साहिबाबाद लोनी में हुआ था पिछले 6 महीने से अभिभावक अपनी बेटी के दाखिले के लिये स्कूल और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है अधिकारियों द्वारा स्कूल प्रबंधन के साथ 5 बार से ज्यादा मीटिंग भी की गई लेकिन उसके बाद भी स्कूल प्रबंधन द्वारा अभिभावक की बेटी को दाखिला नही दिया गया बेटी का दाखिला मांगने पर अभिभावक ने स्कूल प्रबंधन पर जाति सूचक शब्द बोलकर अपमानित करने के आरोप भी लगाए है जिसकी शिकायत गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा एससी एसटी आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग से की थी दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारा आरटीई के अंतर्गत दाखिला नही लिए जाने एवम जाति सूचक शब्द बोलने का संज्ञान लेते हुये बाल आयोग ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी से 10 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा कि आधा शिक्षा सत्र बीत गया है उसके बाद भी जिले में 2500 से ज्यादा आरटीई के बच्चे अपने एडमिशन की प्रतीक्षा में है निजी स्कूलों के हौसले बुलंद है वो खुलकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धज्जिया उड़ा रहे है उसके सबसे बड़ा कारण यह है शिक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन का निजी स्कूलों को चेतावनी और नोटिस भेजने तक ही सीमित रहना आरटीई के दाखिले नही लेने वाले एक भी निजी स्कूल पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाई नही की गई ये समझ नही आता आखिर वो कोन सी अदृश्य शक्तियां है जिनके सामने शिक्षा अधिकारी और जिला प्रशासन बेबस और लाचार है हम प्रदेश के मुख्यमंत्री जी से आग्रह करते है कि गाजियाबाद सहित प्रदेश के अन्य जिलों से भी आरटीई के दाखिलों का ब्यौरा ले जिससे कि धरातल पर आरटीई के दाखिलों की सच्चाई से पर्दा उठ सके आरटीई के शत प्रतिशत बच्चों का दाखिला सुनिश्चित कराना सरकार और अधिकारियों की जिम्मेदारी है जीपीए जब तक चैन की सांस नही लेगी जब तक शत प्रतिशत आरटीई के बच्चों को दाखिले नही मिल जाते है
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