इस राजनीति के बीच भाजपा(किसान मोर्चा) पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य:राहुल प्रधान ने तंज कसते हुए कहा है कि जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है,वही आएंगे श्री प्रधान ने कहा,न्योता सभी को भेजा गया है लेकिन आएंगे वही जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है।वामपंथी पार्टी सीपीएम की बृंदा करात ने तो जानने से ही इनकार किया है।श्री प्रधान कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए धर्म का राजनीतिकरण हो रहा है।करात ने कहा,हम नहीं जाएंगे।हम धार्मिक आस्था का सम्मान करते है।लेकिन वे लोग एक धार्मिक आयोजन को राजनीति से जोड़ रहे।धर्म को राजनीति का हथियार बनाना ठीक नहीं है।
राम मंदिर के उद्घाटन आयोजन में आने से इनकार करने वालों में अकेले लेफ्ट के ही नेता नहीं है।कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने भी जाने से इनकार किया है। उनका कहना है कि भगवान राम मेरे दिल में है।इसके लिए
आयोजन में जाने की ज़रूरत नहीं है,जहां भाजपा चुनाव से पहले अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहती है।सिब्बल ने कहा मैं जब दिल से ये बातें करता हूं तो मूजे इन चीजों से फर्क नहीं पड़ता भगवान राम मेरे सफर में मुजे दिशा दिखाते है।इससे पता चलता है कि मैं कुछ सही कर रहा हूं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग भगवान राम की बातें करते है, लेकिन उनका करैक्टर एकदम अलग है भगवान राम सच्चाई त्याग और दूसरों के सम्मान की सीख देते है,लेकिन इन लोगों का बर्ताव तो उससे एकदम उल्टा है असल में भगवान राम सिद्धांत दिल में होने चाहिए। सीपीएम के अलावा एक अन्य वामपंथी पार्टी सीपीएम भी इस ईवेंट से दूरी बना सकती है इस बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने कहा कि जो लोग उमसे सवाल पूछते थे,वे आएं अयोध्या हम उन्हें मंदिर दिखायेंगे।
कांग्रेस पर अब भी नज़र जाहिर नहीं कर रही राय अब तक लेफ्ट समेत कई नेताओं ने अपनी राय जाहिर कर दी है,
लेकिन कांग्रेस का रुख साफ नहीं है।ऐसे में सभी की नजर कांग्रेस पर है।पार्टी ने माना है कि खरगे,सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को न्योता मिला है।लेकिन अब तक साफ नहीं किया है कि कौन जाएगा और कौन नहीं ।पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को भी न्योता दिया गया है लेकिन वह स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।ऐसे में कार्यक्रम में उनके शामिल होने पर भी संदेह है।माना जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं को संदेश देने के लिए कांग्रेस की टॉप लीडरशिप दूर रह सकती है और प्रतिनिधियों को भेजा जा सकता है।
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