गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने आरटीई के दाखिलों को लेकर महानिदेशक को लिखा पत्र
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएश ने उत्तर प्रदेश सरकार के महानिदेशक स्कूल शिक्षा को आरटीई के दाखिलों को लेकर सीधे पत्र लिखते हुये बताया कि गाजियाबाद जिले में चार चरणों की लॉटरी प्रक्रिया के माध्य्म से आरटीई के अंतर्गत 5841 बच्चों का चयन हुआ था जिसमे केवल 3310 बच्चों का ही दाखिला सुनिश्चित कराया जा सका है 75 % शिक्षा सत्र बीत जाने के बाद भी लगभग 2531 बच्चे दाखिलों के लिए स्कूल और अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर है उसके बाद भी अधिकारियों द्वारा ना तो इन बच्चों का दाखिला ही कराया गया है और ना ही दाखिला नही लेने वाले स्कूलो पर कोई ठोस कार्यवाई सुनिश्चित की गई है जिले में पिछले पांच वर्षों में आरटीई के दाखिलों का आंकड़ा चोकाने वाला है
शैक्षिकसत्र सीट चयन दाखिला
2019-20 13290 4109 1280
2020-21 14720 4910 1353
2021-22 14720 4810 1950
2022-23 15386 5067 2975
2023-24 15386 5841 3310
और अगर हम पूरे प्रदेश की बात करे तो आरटीई के दाखिलों का आंकड़ा 50% को भी नही छू पाया है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा जिलों से हर वर्ष आरटीई के दाखिलों का आंकड़ा तो मांगा जाता है लेकिन इन आंकड़ों पर गंभीरता से कार्य नही किया जाता है जिसके कारण प्रत्येक वर्ष प्रदेश में आरटीई के अंतर्गत हजारो बच्चे शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित रह जाते है जिले स्तर पर अधिकारी खाना पूर्ति के लिए स्कूलो को नोटिस और चेतावनी तो भेजते है लेकिन कार्यवाई करने की हिम्मत नही दिखा पाते है राष्ट्रिय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग द्वारा आरटीई के दाखिलों पर जिलाधिकारी को तीन तीन पत्र भेजने पर भी जबाब नही दिया जाता है । आज पूरे प्रदेश में कोई प्रत्यक्ष उदाहरण मौजूद नही है जो शासन - प्रशासन स्तर से प्रदेश में आरटीई के दाखिले नही लेने वाले एक भी स्कूल पर कोई ठोस कार्यवाई सुनिश्चित की गई हो जिसके कारण साल दर साल निजी स्कूलों द्वारा आरटीई अधिनियम 2009 की धज्जियां उड़ा हजारो बच्चों को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाता है और शिक्षा विभाग , शासन प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है शिक्षा विभाग के अधिकारियों की समस्त कार्यवाई पत्राचार तक ही सीमित हो कर रह जाती है जब एनसीआर में रहने वाले पेरेंट्स अपने बच्चों के दाखिलों के लिए पिछले 9 महीनों से अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है और अब अंत मे जिले के जिलाधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा पेरेंट्स से यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि हमने शासन को रिपोर्ट बना कर भेज दी है तो पूरे प्रदेश में आरटीई के दाखिलों पर गंभीरता की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है । गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्रदेश के हजारों गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकारो को हितों को ध्यान में रखते हुये महानिदेशक स्कूल शिक्षा से निवेदन किया है की प्रदेश में आरटीई के शत प्रतिशत बच्चों का दाखिला सुनिश्चित कराया जाया एवम दाखिला नही लेने वाले स्कूलो की मान्यता रद्द कर इनको सरकार अपने नियंत्रण में लेने का कार्य करे साथ ही ऐसे शिक्षाधिकारियों पर भी सख्त कार्यवाई का प्रवधान किया जाये जो अपने जिलों में आरटीआई अधिनियम का पालन कराने में सक्षम नही है
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