Ghaziabad : महामहिम अनुराधा कोईराला राज्यपाल, प्रोविंस-3, हटौडा (नेपाल) ने अपने उद्गारों के जरिए ट्रस्ट के बारे कहा है कि मनुमुक्त 'मानव' के पिता डॉ. रामनिवास 'मानव' ने, ट्रस्ट के माध्यम से, न केवल अपने बेटे की स्मृतियों को जीवित रखा है, बल्कि उनकी कीर्ति को पूरे विश्व में पहुंचा दिया है। इस कार्य में उनकी धर्मपत्नी डॉ. कांता भारती और बेटी डॉ. एस अनुकृति, वरिष्ठ अर्थशास्त्री, विश्व बैंक, वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) का योगदान भी कुछ कम नहीं है। डॉ. हरमहेंद्रसिंह बेदी, कुलाधिपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला (हिप्र) के अनुसार मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल (हरियाणा) की साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियां आश्चर्य-जनक हैं। शायद ही किसी निजी संस्था ने, मात्र एक दशक की अल्पावधि में, वैश्विक स्तर पर इतनी उपलब्धियां प्राप्त की हों।
*-डॉ.सत्यवान सौरभ*
भारतीय पुलिस सेवा के होनहार और ऊर्जावान युवा अधिकारी मनुमुक्त 'मानव' की स्मृति में, मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना 10 अक्टूबर, 2014 को, हिसार (हरियाणा) में हुई थी। वर्ष-2017 में ट्रस्ट का कार्यालय हिसार से नारनौल स्थानांतरित होने के बाद, मात्र सात वर्ष की समयावधि में, ट्रस्ट ने उपलब्धियों के विशिष्ट कीर्तिमान स्थापित किये हैं। ट्रस्ट द्वारा वर्ष-2018 में चालीस साप्ताहिक संगोष्ठियां और अट्ठारह राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किये गये थे, वहीं वर्ष-2019 में सोलह, वर्ष-2020 में चौदह, वर्ष-2021 में बाईस, वर्ष-2022 में अट्ठारह और वर्ष-2023 में सोलह राष्ट्रीयता-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किये गये। दो वर्ष के कोरोना-काल में भी, ट्रस्ट की गतिविधियां निर्बाध रूप से जारी रहीं, लेकिन इस दौरान अधिकतर कार्यक्रम वर्चुअल रूप में आयोजित किये गये। अब तक पचपन देशों के लोग, ट्रस्ट द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता कर चुके हैं। अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक गतिविधियों के कारण नारनौल का सैक्टर-1, पार्ट-2 स्थित 'मनुमुक्त भवन' अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है। इस भवन में सत्तर व्यक्तियों के बैठने योग्य वातानुकूलित सभागार के अतिरिक्त संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है, जिसमें मनुमुक्त के जीवन से संबंधित लगभग एक हजार वस्तुओं को संरक्षित किया गया है तथा निर्माणाधीन पुस्तकालय में पांच हजार से अधिक पुस्तकें रखी गई हैं। देश-विदेश से आने वाले अतिथियों के लिए 'मनुमुक्त भवन' किसी तीर्थ-स्थल से कम नहीं है।
ट्रस्ट द्वारा, विगत वर्षों में, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन के अतिरिक्त साहित्य के संवर्द्धन का भी भरपूर प्रयास किया गया है। इसके द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिंदी भाषा, नागरी लिपि तथा हिंदी और हरियाणवी साहित्य से जुड़े आयोजन शामिल हैं। 'वर्तमान युग-परिवेश और साहित्य', 'भाषा और साहित्य का भारतीय दर्शन', 'हिंदी भाषा और समकालीन साहित्य', 'हिंदी-काव्य में राम का स्वरूप', 'समकालीन संदर्भ में कबीर-काव्य की प्रासंगिकता', 'संत रविदास और उनकी समतामूलक समाज की अवधारणा', 'हरियाणवी बोली : स्वरूप और स्थिति', 'हिंदी-कविता और राजनीतिक विचार-धारा', 'साहित्य में शिवं की अवधारणा', 'कोरोना-केंद्रित हिंदी-साहित्य', 'लोक-साहित्य में लोक-संस्कृति', 'दक्षिण भारत में हिंदी की स्थिति', 'देश में हिंदी : विदेश में हिंदी', 'वैश्विक परिदृश्य में हिंदी-पत्रकारिता', 'वर्तमान परिवेश में मीडिया की भूमिका', 'हिंदी की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियां', 'समकालीन परिदृश्य में जैन धर्म की प्रासंगिकता', 'वर्तमान परिदृश्य में अणुव्रत-सिद्धांतों की सार्थकता', 'सनातन धर्म और संस्कृति का पुनरुत्थान' तथा 'बिगड़ती संस्कृति, बढ़ती विकृतियां' जैसे गंभीर और महत्त्वपूर्ण विषयों पर आयोजित विचारोत्तेजक संगोष्ठियों के अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय नागरी लिपि सम्मेलन, इंडो-नेपाल कवि-सम्मेलन, इंडो-नेपाल बालसाहित्य-सम्मेलन, इंडो-नेपाल लघुकथा-सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय मातादीन-मूर्तिदेवी स्मृति-समारोह, अंतरराष्ट्रीय हिंदी-विमर्श एवं सम्मान-समारोह, अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मान-समारोह, अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय हिंदी-संगोष्ठी, अंतरराष्ट्रीय भाषा-दिवस समारोह, अंतरराष्ट्रीय हाइकु-सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय तांका-सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय सेदोका-सम्मेलन जैसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम भी ट्रस्ट द्वारा आयोजित किये गये हैं। इनमें से अधिकतर कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किये जाते हैं। लघुकथा, हाइकु, तांका और सेदोका पर केंद्रित वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम, विश्व में प्रथम बार, ट्रस्ट द्वारा ही आयोजित किये गये हैं।
ट्रस्ट द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में देश-विदेश से, विभिन्न क्षेत्रों की लगभग पांच सौ विशिष्ट विभूतियां सहभागिता कर चुकी हैं, जिनमें कवियों-लेखकों-समीक्षकों के साथ एक दर्जन पत्र-पत्रिकाओं के संपादक, एक दर्जन विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, कुलपति और कुलाधिपति, एक दर्जन से अधिक साहित्य-अकादमियों और हिंदी-संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और निदेशक, लगभग एक दर्जन आईएफएस, आईएएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी तथा अनेक चेयरमैन, विधायक, सांसद, मंत्री, विधानसभा उपाध्यक्ष और पूर्व तथा वर्तमान राज्यपाल शामिल हैं। भारत के डॉ. कमलकिशोर गोयनका, डॉ. अवनीश कुमार, नारायण कुमार, डॉ. परमानंद पांचाल, डॉ. हरमहेंद्रसिंह बेदी, डॉ. प्रेमचंद पतंजलि, डॉ. हरिसिंह पाल, डॉ. विकास दवे, डॉ. श्रेयांश द्विवेदी, डॉ. खेमसिंह डहेरिया, डॉ. हूंदराज बलवानी, डॉ. रामसजन पांडेय, डॉ. उमाशंकर यादव, डॉ. रमेश यादव, डॉ. दीपक पांडेय, डॉ. नूतन पांडेय, डॉ. वेदप्रकाश यादव, डॉ. पीतवास मिश्र, डॉ. रामगोपाल शर्मा 'दिनेश', डॉ. किशोर काबरा, डॉ. लालचंद गुप्त 'मंगल', नरेश नाज़, राकेश भ्रमर आदि शताधिक साहित्यकारों, पत्रकारों और शिक्षाविदों के अतिरिक्त नेपाल की डॉ. श्वेता दीप्ति, डॉ. पुष्करराज भट्ट, डॉ. कपिल लामिछाने, डॉ. कलानाथ बियोगी, श्रीओम श्रेष्ठ, हरीशप्रसाद जोशी सहित दो दर्जन से अधिक साहित्यकार, पत्रकार और शिक्षाविद्, जापान की डाॅ. रमा शर्मा, इंडोनेशिया के आशीष शर्मा, फिजी की सुएता दत्त चौधरी, आस्ट्रेलिया के देवेंद्र यादव और शाइनीथा श्याम सुंदर, न्यूजीलैंड के रोहितकुमार 'हैप्पी', मॉरीशस के रामदेव धुरंधर, कल्पना लालजी और अंजू घरभरन, रूस की श्वेता सिंह 'उमा', नॉर्वे के डॉ. सुरेशचंद्र शुक्ल, जर्मनी की डाॅ. योजना शाह जैन, कनाडा के गोपाल बघेल तथा अमेरिका की डाॅ. ट्रेसी रेगन और डॉ. कमला सिंह तो नारनौल भी पधार चुकी हैं। इनमें से अनेक तो कई-कई बार नारनौल आ चुके हैं। माॅरीशस के रामदेव धुरंधर, डॉ. माधुरी रामधारी, डॉ. हेमराज सुंदर, डॉ. कृष्णकुमार झा, इंद्रदेव भोला, कल्पना लालजी, अंजू घरभरन, पूनम के सजीवन, रंजीता बनवारी, आरती हेमराज और नीलम सिंह सहित लगभग एक दर्जन साहित्यकार विभिन्न वर्चुअल कार्यक्रमों में भी अनेक बार सहभागिता कर चुके हैं।
ट्रस्ट द्वारा बाल-पत्रिकाओं, बाल-साहित्य और प्रौढ़ साहित्य का नि:शुल्क वितरण भी किया जाता है। यहीं मैं इस बात का भी उल्लेख करना चाहूंगा कि मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष देश-विदेश के शताधिक साहित्यकारों को पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जाता है। ट्रस्ट द्वारा दिये जाने वाले पुरस्कारों में अढ़ाई का एक, एक लाख का भी एक, इक्कीस-इक्कीस हजार के दो, ग्यारह-ग्यारह हजार के तीन तथा कई छोटे पुरस्कार शामिल हैं। ट्रस्ट द्वारा पुरस्कृत-सम्मानित विशिष्ट विभूतियों में प्रोविंस-3, नेपाल की राज्यपाल अनुराधा कोईराला, नेपाल के पूर्व कृषि-मंत्री त्रिलोचन ढकाल, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू की हिंदी-प्रोफेसर और नेपाल से प्रकाशित होने वाली एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हिंदी-पत्रिका 'हिमालिनी' की संपादक डॉ. श्वेता दीप्ति, मैती नेपाल, काठमांडू के निदेशक बिश्वो खड़का, महाकाली साहित्य-संगम, महेंद्र नगर (नेपाल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीशप्रसाद जोशी, मैग्सेसे अवार्डी पद्मश्री डॉ. प्रकाश आमटे, मैग्सेसे अवार्डी डॉ. मंदाकिनी आमटे, विख्यात गांधीवादी चिंतक डॉ. एसएन सुब्बाराव, सांसद डॉ. अच्युत सामंत, पद्मश्री फुलवासन यादव, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति नवरंगलाल टिबरेवाल, सांसद लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डॉ. डीपी वत्स, कोलकाता के प्रमुख समाजसेवी बैजनाथ चौधरी, इंफाल (मणिपुर) की विशिष्ट हिंदी-सेवी अहेम कामै आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। ट्रस्ट द्वारा साहित्यकारों की नव-प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन-समारोह और उन पर केंद्रित विचार-गोष्ठियां भी आयोजित की जाती हैं। ऐसे आधा दर्जन कार्यक्रम अब तक आयोजित किये जा चुके हैं। पर्यावरण-संरक्षण, महिला-अभिनंदन, बाल-प्रबोधन और युवा-सशक्तीकरण का निरंतर प्रयास भी ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट युवा-सम्मान समारोह तो प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है तथा देश-विदेश के शताधिक युवा साहित्यकारों, पत्रकारों, संगीतकारों, अभिनेता-अभिनेत्रियों, फिल्मकारों, शिक्षकों, खिलाड़ियों, पर्वतारोहियों और समाजसेवकों को, उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के दृष्टिगत, पुरस्कृत-सम्मानित किया जा चुका है।
और अब बात ट्रस्ट के नाम दर्ज एक विश्व-रिकाॅर्ड की। वैसे तो ट्रस्ट के अधिकतर कार्यक्रम विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण होते हैं, लेकिन भारत की स्वाधीनता के अमृत-महोत्सव के उपलक्ष्य में, 15 अगस्त, 2021 को आयोजित वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन को, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा, सर्वाधिक देशों के सबसे बड़े कवि-सम्मेलन के विश्व-रिकॉर्ड के रूप में, रिकार्ड-बुक में दर्ज किया गया है। इस कवि-सम्मेलन में छह महाद्वीपों और इक्यावन देशों के पचहत्तर कवियों ने काव्य-पाठ किया गया था।
इस प्रकार, अपने ध्येय-वाक्य 'कीर्तिर्यस्य स जीवति' को चरितार्थ करते हुए, दिवंगत मनुमुक्त 'मानव' की स्मृतियों को संरक्षित और कीर्ति को संवर्धित करने का भरपूर प्रयास, ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। अंत में एक बात और। ट्रस्ट के सभी कार्यक्रम, मेरे द्वारा लिखित प्रार्थना-गीत से प्रारंभ होते हैं, जिसमें विश्व के कल्याण और मानव-मात्र के उत्थान की कामना की गई है।
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