सन 2015 में राजद कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीतने के बाद सन 2017 में उन्होंने गठबंधन छोड़ भाजपा के साथ सरकार बनाई सन 2022 में उन्होंने इसके ठीक उलट और बीजेपी के साथ चुनाव जीतने के बाद राजद कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई
आज शाम नीतीश कुमार बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली आज ऐसा ही हुआ नीतीश कुमार ने नोवी बार में राज्य के सीएम के रूप में शपथ ली
शायद हिंदुस्तान में पहले मुख्यमंत्री हैं जो इस तरह के खेल खेलते रहे हैं सुबह कहीं तो शाम कही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री बन रहे हैं ऐसा तो शायद इतिहास में पहली बार हो रहा है
गददी की लालसा कहे सिद्धांत तो कह नहीं सकते
नीतीश कुमार की लालसा जग जाहिर हो चुकी जो इंडिया संगठन के संयोजक बनना चाहते थे प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश भी उनके दिल में थी
इंडिया में संयोजक ना बनाए जाने पर जोड़-तोड़ की
नीतीश कुमार ने जनता के विश्वास को कई बार तोड़ा है आज तक हिंदुस्तान की राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जिसने इस तरह जोड़-तोड़ में रहकर अपने सीट बचाने का कार्य किया
आज के इस पूरे प्रकरण से विपक्ष को सोचना होगा अगर भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करना है तो निजी स्वार्थ को छोड़ना होगा तभी आप बीजेपी को हरा सकते हैं इस प्रकरण के बाद ऐसा महसूस कम हो रहा है
देश के अंदर चल रहे राजनीति समीकरण को देखते हुए राम मंदिर के उद्घाटन को नजर में रखते हुए 2024 में बीजेपी को हरा पाना मुश्किल लग रहा है विपक्ष दिनों दिन कमजोर और आपसी तालमेल में भी बहुत फर्क दिखाई देता है
कांग्रेस के राहुल गांधी फिर एक बार भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे हैं इससे पूर्व भी राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा निकाली गई
अगर हम यह कहें कि विपक्ष का मतलब ही राहुल गांधी है तो कहीं झूठ नहीं है पिछले कई सालों से विपक्ष के नाम पर एक ही चेहरा पार्लियामेंट में भी नजर आता है राहुल गांधी कांग्रेस कमजोर हो चुकी पार्टी है और धीरे-धीरे कमजोर भी होती जा रही है विपक्ष में एकता बन नहीं पा रही बंगाल बंगाल में भी ममता बनर्जी ने कहा कि मैं पूरी सीटों पर तैयारी कर रही हूं इधर अखिलेश यादव कांग्रेस को सिर्फ 11 ही सीटे देना चाहते हैं
क्या इन सब चीजों को नजर में रखते हुए क्या ऐसा महसूस नहीं होता कि विपक्ष एकजुट हो पाएगा या नहीं
नीतीश कुमार द्वारा उठाएंगे कदमों को देखते हुए आज के इस पूरे प्रकरण को भी नजर में रखना होगा
मगर आज का दिन एक यादगार दिन के रूप में याद किया जाएगा नीतीश कुमार को लेकर
तभी कहते हैं की राजनीति में कोई दोस्त भी नहीं और कोई दुश्मन भी नहीं कब दुश्मन दोस्त बन जाए कब दोस्त दुश्मन बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता
वाह रे नीतीश कुमार
सरदार मनजीत सिंह
लेखक
राजनीति विशेषज्ञ
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