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शिक्षा विभाग ने आरटीई के 55% गरीब बच्चों के फार्म कैंसिल कर , स्कूलो में एक ही बच्चे को की 6 से 7 सीट अलॉट - जीपीए

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन का आरटीई के दाखिलों में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा, आरटीई - जीपीए ने धांधली की जाँच के लिये मुख्यमंत्री सहित प्रमुख सचिव एवम महानिदेशक को लिखा पत्र

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने आरटीई के दाखिलों में जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा किये जा रहे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है जिसकी बड़े स्तर पर जांच के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री , प्रमुख सचिव , महानिदेशक स्कूल शिक्षा सहित तमाम शासकीय अधिकारियों को 6 पेज का खुला पत्र लिखा गया है शिक्षा विभाग द्वारा आरटीई के दाखिलों में की जा रही धांधली को लेकर गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी और आरटीई प्रभारी धर्मेन्द्र यादव ने बताया की जीपीए टीम ने आरटीई की प्रथम लिस्ट का लगभग 15 दिन तक गहन जांच की जिसमे विभाग द्वारा की जा रही भारी गड़बड़ी निकल कर सामने आई जिसके कारण आरटीई के हजारों गरीब बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो सकते है और अगर यह फर्जीवाड़ा प्रदेश स्तर पर हुआ तो इसकी संख्या लाखो में हो सकती है हमने जब प्रथम चरण की सूची की गहनता से जांच की तो पाया की आरटीई की प्रथम चरण के लिये दुर्बल वर्ग एवम अलाभित समूह के अभिभावको ने अपने बच्चों के दाखिले के लिये बड़ी संख्या में फार्म भरे हालांकि इसके लिये विभाग द्वारा कोई जागरूकता अभियान नही चलाया गया उसके बाद भी विभाग के अंतर्गत संबंधित अधिकारियों द्वारा जाँच प्रक्रिया के दौरान लगभग 55% से ज्यादा बच्चो के फार्म को कुछ न कुछ कमी निकाल कर निरस्त कर दिया गया जिससे प्रतीत होता है की जिला बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत अधिकारियों की मंशा बच्चो को चयनित करने से ज्यादा फार्म निरस्त करने में दिखाई गई है जबकि ऑन लाइन फार्म में पेरेंट्स के मोबाईल नंबर सहित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होती हम सभी जानते है कि आरटीई के फार्म भरने वाले अभिभावक गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर होते है इनको फार्म भरवाने के लिए भी पैसे देकर साइबर कैफे का सहारा लेना पड़ता है आप इन आंकड़ो को देखकर अचंभित हो सकते है
1 . आरटीई के प्रथम चरण की प्रक्रिया जो 20 जनवरी से 18 फरवरी तक चली अभिभावको द्वारा तक चली उसमें आरटीई के 
कुल फार्म भरे गये = 8554
अधूरा बताया गया = 1228
फार्म निरस्त किये = 2520
कुल फार्म वेरीफाइड = 4806
स्कूल चॉइस निरस्त =1085
कुल चयनित बच्चे = 3721
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कुल फार्म भरे गये = 8554
बच्चे चयनित किये = 3721
कुल फार्म निरस्त = 4833

जब हम बच्चों के फार्म निरस्त करने की परसेंटेज निकालते है तो ये लगभग 55% बैठती है जो विभाग द्वारा बच्चों के आरटीई फार्म की जांच एवम वरीफिकेशन प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़े करते है 


2. जब हमने चयनित बच्चों की सूची का और गहनता से परीक्षण किया तो और भी चोकने वाले आंकड़े सामने आये इसमें जिले के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सुनियोजित रूप से किये गये एक बड़े फर्जीवाड़े और गंभीर अनियमितताओं को पाया जिसमे जिले के बड़े बड़े निजी स्कूलों में आरटीई के एक ही बच्चे को एक स्कूल में 6 -6 सीट अलॉट की गई है जिससे एक बच्चे ने एक सीट के लिये 5 बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया है ऐसे बच्चों की संख्या अनेको में है हमे आशंका है कि 
अधिकारियों द्वारा बचने के लिये इसे कंप्यूटर की गलती एवम मानवीय भूल बताकर बचने का प्रयास किया जाएगा जबकि आप समझ सकते है कि विभाग के पास बच्चो केफार्म की वरीफिकेशन के लिए पर्याप्त समय था जिसके अंर्तगत इन्होंने 55% से ज्यादा फार्म को निरस्त किया फिर एक ही बच्चे को एक ही स्कूल में एक से ज्यादा सीट अलोट कैसे कर दी गई । प्रकरण का सज्ञान लिया जाना अतिआवश्यक है जिसकी पुष्टि किसी के भी द्वारा जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी प्रथम चरण की लिस्ट से कर सकते है विवरण इस प्रकार है --


(1 ) . ए .के चिल्ड्रन अकैडमी स्कूल , मोरटी में 3 बच्चों को 10 सीट अलॉट की गई है।

( 2 ) . एमिटी इंटरनेशनल स्कूल , वसुंधरा में 3 बच्चों को 17 सीट अलॉट की गई है।
( 3 ) . एलन हाउस पब्लिक स्कूल , वसुंधरा में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की है।

( 4 ) . डीएवी स्कूल , राजेन्द्र नगर में 1 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।
( 5) सीएसएचपी जूनियर हाई स्कूल, एडवोकेट कॉलोनी विजय नगर में 1 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।

( 6 ) .जेकेजी इंटरनेशनल स्कूल , शक्ति खंड इंदिरापुरम में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की है और उसी 1 बच्चे को 
दिल्ली पब्लिक स्कूल में भी 1 सीट अलोट की गई है 

( 7 ). देहरादून पब्लिक स्कूल ( डीडीपीएस ) , सेक्टर -23 ,संजय नगर में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की गई है।

( 8 ). इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल , प्रताप विहार में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की गई है।

( 9 ) . न्यू ऐरा पब्लिक स्कूल , मेहरौली में 1 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।

( 10 ). सिल्वर लाईन प्रेस्टीज स्कूल , नेहरू नगर तृतीया में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की गई है।

( 11) . गुरुकुल द स्कूल , डसना में 1 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।

( 12 ) . विश्व भारती पब्लिक स्कूल, क्रासिंग रिपब्लिक में 5 बच्चे को 12 सीट अलॉट की गई है।

( 13 ) . सफायर स्कूल , क्रासिंग रिपब्लिक में 1 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।

( 14 ). वी के मेमोरियल जूनियर हाईस्कूल, कृष्णा नगर में 1 बच्चे को 3 सीट अलॉट की गई है।
( 15 ) . पी एन एन मोहन पब्लिक स्कूल , वसुंधरा में 2 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।
(16 ) . प्रेसीडीएम स्कूल , नूर नगर में 1 बच्चे को 3 सीट अलॉट की गई है।

( 17 ). परिवर्तन स्कूल , नूर नगर में 2 बच्चे को 7 सीट अलॉट की गई है।

( 18). संस्कार द को एजुकेशनल स्कूल , मेहरौली में 3 बच्चे को 11 सीट अलॉट की गई है।

(19 ) . बीआरएस कान्वेंट गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल , इंद्रपुरी में 2 बच्चे को 4 सीट अलॉट की गई है।

( 20 ). डॉ के एन मोदी ग्लोबल स्कूल , मोदीनगर में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की गई है।

( 21 ) . संस्कार द वर्ल्ड स्कूल,गुलधर दुहाई में 1 बच्चे को 2 सीट अलॉट की गई है। आदि 

3. जब हमने प्रथम लिस्ट के अंतर्गत चयनित बच्चों की गहनता से जांच की तो पाया कि लिस्ट में अनेको बच्चे ऐसे है जिनको एक से ज्यादा स्कूलो में सीट अलॉट की गई है जो सम्पूर्ण जाँच प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है इसकी पुष्टि विभाग द्वारा जारी प्रथम चरण की सूची से कर सकते है 

4 . स्कूलो में आरटीआई के दाखिलों के लिये प्री प्राइमरी और कक्षा एक के लिये कुल सीटो की मैपिंग ठीक प्रकार से नही की गई है अनेको स्कूल ऐसे है जिनमे केवल प्री प्राइमरी की सीट दर्शाई गई है जबकि कक्षा एक के लिये सीट लगभग जीरो या एक दिखाई गई है और कुछ स्कूल ऐसे है जिनमे कक्षा एक कि सीट दर्शाई गई है और प्री के लिए लगभग जीरो सीट दर्शाई गई है जैसे डी. ए. वी स्कूल प्रताप विहार , न्यू रेम्बो स्कूल , प्रताप विहार , चिल्ड्रिन अकैडमी स्कूल , विजय नगर आदि आपके द्वारा स्वयं इसकी पुष्टि भी विभाग द्वारा जारी प्रथम चरण की लिस्ट से की जा सकती है 

5. अगर हम आरटीई की लिस्ट को साइट पर चेक करते है कि अभिभावक द्वारा दाखिले के लिये अपने बच्चे के फार्म में प्री प्राइमरी के लिये भरा गया है जबकि वास्तविकता में उसे क्लास एक के लिए चयन का पत्र जारी किया गया है जैसे जे. के .जी स्कूल , शक्तिखण्ड , इंदिरापुरम आदि इसकी पुष्टि विभाग द्वारा जारी लिस्ट से की जा सकती है 

 6 . जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को इस फर्जीवाड़े से अवगत कराया गया तो तत्काल ही वेबसाइट से बच्चे का डेट ऑफ बर्थ , एड्रेस , मोबाइल नंबर और इनकम छुपा दी गई जिससे की किसी के भी द्वारा तथ्यों के आधार पर आगे की जानकारी नही ली जा सके इसकी पुष्टि विभाग की साइट से की जा सकती है 

7 . जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों को खुलकर छूट दी गई है कि वो आरटीई के चयनित बच्चों के घर जाकर वरीफिकेशन कर सकते है और जिले में ऐसे भी स्कूल है जो आरटीई के चयनित बच्चे के पेरेंट्स से एक साल की बैंक स्टेटमेंट मांग रहे है जो सरासर बच्चों के निजिता के अधिकार का हनन है पूर्व के वर्षों में भी निजी स्कूलों द्वारा ऐसा ही किया जाता रहा है जिसका सज्ञान लेकर तत्काल रोक लगाया जाना अतिआवश्यक है 

8. आरटीई के चयनित बच्चे जब दाखिलों के लिए स्कूल जाते है तो उनसे स्कूल प्रबंधन द्वारा बोल दिया जाता है कि उनके पास जिला बेसिक शिक्षा विभाग से कोई बच्चों की सूची नही आई है यह प्रक्रिया पूरे साल चलती है जिसके कारण अभिभावक स्कूल और विभाग के चक्कर काटते रहते है जिसका सज्ञान लेकर ठोस योजना का किर्यान्वयन अतिआवश्यक है 

9 . विभाग के द्वारा आरटीई के बच्चे का सम्पूर्ण वरीफिकेशन करने के बाद ही उसका चयन किया जाता है लेकिन उसके बाद भी स्कूलो द्वारा चयनित बच्चों के डॉक्यूमेंट वरीफिकेशन के नाम पर शोषण किया जाता है जो अभिभावक और बच्चों को मानसिक रूप से आहत करता है साथ ही यह आरटीई अधिनियम 2009 के नियमो का उलंघन भी है जिले के बेसिक शिक्षा विभाग का निजी स्कूलों पर कोई नियंत्रण नही है जिसका सज्ञान लिया जाना अतिआवश्यक है 

10 . आरटीई के अंतर्गत चयनित प्रत्येक बच्चे का दाखिला कराना प्रत्येक जिले के बेसिक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है लेकिन हर वर्ष हजारों बच्चे दाखिले से वंचित रह जाते है विभाग केवल स्कूलो को नोटिस और चेतावनी भेजने तक ही सीमित रहता है दाखिले नही लेने वाले किसी भी स्कूल पर विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्यवाई सुनिश्चित नही की जाती जिसके कारण प्रदेश में आरटीई नही लेने वाले स्कूलो का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है जो चिंता का विषय है आरटीई के दाखिलों के प्रति निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए ठोस रणनीति अतिआवश्यक है जिससे कि प्रदेश का आरटीई के अंर्तगत चयनित एक भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे 

हम उम्मीद करते है कि माननीय मुख्यमंत्री , कंदीय शिक्षा मंत्री ,महानिदेशक स्कूल शिक्षा , प्रमुख सचिव , उत्तर प्रदेश सरकार उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं का सज्ञान लेते हुये तत्काल जिले में आरटीई के अंतर्गत चयनित बच्चों की प्रथम लिस्ट की जांच करवा आरटीई के दाखिलों में फर्जीवाड़े एवम अनियमितता में संलिप्त अधिकारियों पर ठोस कार्यवाई सुनिश्चित कर पुनः संशोधित लिस्ट जारी करने के लिये निर्दशित किया जायेगा साथ ही हम निवदेन करते है उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी आरटीई की लिस्ट की सम्पूर्ण जांच कराई जाए जिससे कि आरटीई के अंतर्गत चयनित दुर्बल वर्ग और अलाभित समूह के एक भी बच्चे को शिक्षा के अधिकार से वंचित न होना पड़े । हमे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है की मुख्यमंत्री एवम अन्य शासकीय अधिकारी सख्त कार्यवाई सुनिश्चित कर आरटीई की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनायेगे ।


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