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कबीर की 627वीं जयंती पर हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया प्रसाद, मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म : सिकंदर यादव

साहेब कबीर की 627वीं जयंती पर 13वें विशाल भंडारे का हुआ आयोजन
गाजियाबाद। संत श्री सदगुरु कबीर साहेब जी के 627वें प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य में सदगुर सेवा समिति,युवा विकास प्रयास समिति (युविप) के संस्थापक वरिष्ठ समाजसेवी,कबीरपंथी श्री सिकंदर यादव की ओर से 3 बी 52 नेहरूनगर निवास पर शनिवार को 13वें विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। साहेब कबीर जी के चित्र पर मालार्पण कर उनके विचारों को याद किया गया। गाजियाबाद समेत दूसरे जिलों के भी कबीरपंथी समुदाय के लोगों ने भाग लिया। उपस्थित लोगो को साहेब कबीर की बताई गई शिक्षाप्रद बातों का अनुसरण अपने जीवन में करने उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर श्री सिकंदर यादव ने बताया कि लोग अपने ज्ञान और आत्मविश्वास को बढ़कर ही सामाजिक परिवर्तन ला सकते हैं। कबीरदर्शन संपूर्ण समाज की समृद्धि के लिए है। साहेब कबीर सत्यमार्गी थे और उनकी वाणी समरसता का प्रतीक है। उन्होंने सामाजिक प्रपंच, कुकर्म, जाति- व्यवस्था, माया- मोह एवं मांसाहार भोजन आदि का घोर विरोध किया था। साहेब कबीर ने बहुजन समाज की वाणी को प्रस्तुत किया था।
श्री यादव बताते है कि साहेब कबीर के लिए मानवता ही सबसे बड़ा धर्म रहा है। उन्होंने माता-पिता से आग्रह किया कि वे पाखंडों, कुरीतियों को छोड़कर अपने बच्चों की पढ़ाई- लिखाई पर ध्यान दें, तभी सामाजिक परिवर्तन होगा।
सिकंदर यादव के मुताबिक साहेब कबीर की भाषा सरल और सुबोध थी जो आमलोगों तक आसानी से पहुंच पायी। वे मूलतः समाजसुधारक कवि थे। उन्हें शांतिमय जीवन प्रिय था तथा वे सत्य, सदाचार, अहिंसा आदि गुणों के प्रशंसक थे। कबीर सिर्फ मानव- धर्म में ही विश्वास रखते थे। अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण साहेब कबीर आज भी सर्वत्र समादरणीय हैं।
साहेब कबीर की वाणी मानव मूल्यों पर आधारित थी। उनके अनुसार प्रेम की भाषा वाला व्यक्ति ही असल पंडित हो सकता है। 
श्री सिकंदर यादव का कहना है कि साहेब कबीर वाणी को अपनाने से हमारा जीवन धन्य- धन्य हो जाएगा। उन्होंने कबीर के विचारों को समाज में प्रचारित- प्रसारित करने का आह्वान किया।
आज कबीर के दर्शन को समाज में फैलने के साथ ही उसपर चलने की जरूरत है। उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हम अंधविश्वासों, कुरीतियों तथा छुआछूतों को दूर कर ही साहेब कबीर के सपनों के समाज का निर्माण कर सकते हैं।
इस अवसर पर समिति के संस्थापक श्री सिकंदर यादव समेत सभी कार्यकर्ता एवं परिवार सदस्यों रतन सिंह यादव, विमला यादव, रवि यादव, कुणाल यादव, पूनम यादव, प्रियंका यादव, राजलक्ष्मी यादव, प्रदीप यादव, डॉ दिनेश यादव,सीमा यादव, सुषमा यादव, सोम यादव, बसु यादव, मिलिंद यादव, अद्वैत यादव, अविनाशी यादव, डॉ राजवीर सिंह, सन्नी सैनी, नीरज वर्मा, आकाश डबास, आकाश चौधरी, आकाश कुमार, राजपाल, राजेश रामबरन, हिमांशु, शिवांश आदि ने सभी को प्रेम पूर्वक प्रसाद ग्रहण कराया।

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