गाजियाबाद विवेक विहार दिल्ली स्थित महाराजा अग्रसेन भवन में 21 जून को विश्व योग दिवस के शुभ अवसर पर प्राणायाम व योग शिक्षक आचार्य निग्रह आर्य ने बताया कि यह नियम का पालन किए बगैर किसी भी योग साधक का योग का अनुष्ठान सफल नहीं हो सकता उन्होंने कहा कि अहिंसा किसी भी प्राणी को ना मारना वह मन में वाणी से किसी को कष्ट ना देना अहिंसा है दूसरा सत्य को देखना सत्य बोलना तीसरा असतेय चोरी ना करना मन कार्य किसी दूसरे की वस्तु को अपना ना समझना असते य है कुछ भी संग्रह ना करना यह पांच प्रकार के यह है इसी प्रकार पांच प्रकार के नियम बताएं सोच अंदर और बाहर की पवित्रता संतोष तब स्वाध्याय ईश्वर प्रणाम ईश्वर की शरण में जाना इनका पालन किए बिना कोई भी योग साधक योग में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता यह नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि यह अष्टांग योग है आचार्य निग्रह आर्य ने कहा कि योग से व्यक्ति संपूर्ण आरोग्य में संपूर्ण जगत का आनंद पता है जबकि भोग भोगनी से शरीर के साथ-साथ आत्मा का भी पाटन कर बैठता है मेरे पीछे में आगे मेरे भीतर और बाहर मुझे पर एक ज्योति है जीवन के किन्हीं धन इच्छाओं में वह मेरे लिए चमक उठती है तो देखता हूं कि संसार की समस्त वस्तुएं स्मृति और सुंदर हो उठती हैं तब जीवन में प्रभु की लीला दिखाई देती है यही मन प्राण और आत्मा का वास है यही योग की प्रकाष्ठा है इस शुभ अवसर पर सुरेश गुप्ता छक्की लाल जिंदल गीता गुप्ता रानी अग्रवाल कल्पना आर्य अंजू जैन कविता मोनिका श्वेता गुप्ता नवीन बंसल यथार्थ बंसल व अन्य सैकड़ो योग साधक उपस्थित रहे
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