Ghaziabad : भारत मे प्रतिवर्ष एक लाख व्यक्ति इस बीमारी से प्रभावित हो जाते है।पशुओं में टीकाकरण कराना ही बीमारी की रोकथाम का प्रभावी तरीका है। इसलिए सभी पशुपालक अपने 4 से 8 माह के बछिया, कटिया को टीकाकरण अवश्य कराये। बताया कि डॉ एसपी पाण्डेय मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी गाजियाबाद और यह एक बैक्टीरियल बीमारी है जो मुख्यतः पशुओं गाय भैंस बकरी सूअर कुत्ते आदि को प्रभावित करती है तथा यह एक जुनोटिक बीमारी है।
मतलब यह बीमारी पशु से मनुष्य को अनपास्चुराइज्ड मिल्क एवं डेरी प्रोडक्ट के द्वारा हो जाती है । यह बीमारी एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को सामान्यतः नही होती है। इसका इलाज कठिन होता है । महीनों इलाज करने पर ही ठीक होती है । मनुष्य में इस बीमारी के लक्षण है जोड़ो एवं मांसपेशियों में दर्द, बुखार, वजन में गिरावट, खाँसी, पेट दर्द, भूख में कमी, रात्रि के समय पसीना आना तथा शरीर पर लाल लाल चकत्ते पड़ना मुख्य रूप से होते हैं । इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि पशुओं में बीमारी की रोकथाम की जाए।
इसलिए 4 माह से 8 माह के गाय भैंस के बच्चों में टीका लगाकर इस बीमारी का रोकथाम किया जाता है।
15 जुलाई 2024 से जनपद गाजियाबाद में निशुल्क टीकाकरण का कार्य पशुपालन विभाग द्वारा प्रारंभ कर दिया गया है। पशुपालकों को टीका लगवाने के लिए अपने पशु के कान में टैग लगवाना अनिवार्य है । सभी पशुपालकों से अनुरोध है कि इस बीमारी से पशु को बचाने के लिए, मनुष्यों में बीमारी के फैलने को रोकने के लिए टीका अवश्य लगवाए।
बीमारी गम्भीर है। पशु के साथ रहने वाले, पशु के संपर्क में रहने वाली व्यक्तियों, लापरवाही पूर्वक बीमारी से ग्रसित पशु का इलाज करने वाले व्यक्ति को भी यह बीमारी आसानी पकड़ लेती है ।
अपने पशु को टीकाकरण कराये। साफ सफाई रखे। दूध और दुग्ध उत्पाद को अच्छी तरह गर्म करने के बाद ही इस्तेमाल करें।
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