Ghaziabad (सोशल मीडिया) गोरखपुर के नजदीक ASI की खुदाई चल रही थी। वहां एक ममी पाई गई जो बिल्कुल मिस्री परम्परा के मुताबिक बनाई हुई थी। भारत के इतिहास में ममी का मिलना अपने आपमे एक नई घटना थी, जिससे इतिहास के नए सफहो पर प्रकाश पड़ता।
चार फुट की उस ममी के साथ उसके दैनिक उपयोग के सामान थे। ममी को संग्रहालय में रखने की तैयारी हो रही थी। इसके पहले तमाम परीक्षण हो रहे थे। तभी नोटिस किया गया कि ममी के आसपास सूक्ष्म आवृत्ति की ध्वनियां प्रसारित हो रही हैं
शुरू में इन ध्वनियों को किसी आसपास के इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट का कम्पन समझा गया। पर शीघ्र ही वैज्ञानिकों की एक टीम इस मामले में दिलचस्पी लेने लगी।
ध्वनियों को रिकार्ड किया गया और सैम्पल को ASI के अधिकारियों और पुरातत्वविदों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन के वैज्ञानिकों से साझा किया गया। सभी देशों ने विलक्षण ममी के परीक्षण के लिए अपने शीर्ष वैज्ञानिक भारत भेजे।
ये ध्वनियाँ बहुत सूक्ष्म आवृत्ति की थीं, जिनकी आवृत्ति 30 हर्ट्ज से कम थी, जिन्हें केवल उच्च गुणवत्ता वाले ध्वनि उपकरणों द्वारा सुना जा सकता था, मानवीय श्रवण क्षमता द्वारा नहीं।
वैज्ञानिकों ने हाइपरसोनिक साउंड एम्पलीफायर उपकरणों को ममी के बेहद करीब रखा है। करीब 30 देशों के वैज्ञानिक 5 महीने, 24 दिन और 22 घंटे तक रात-दिन देखे बिना, ममी से आने वाली आवाज़ों को रिकॉर्ड करते रहे।
ध्वनि सीक्वेंस को रिकॉर्ड कर डिकोड किया गया तो पता चला कि इन आवाज़ों में हज़ारों साल पुरानी भाषा में पूरी मानव जाति के लिए एक संदेश है। जब इस आवाज का अनुवाद किया गया,तो ममी का संदेश सुनकर सुनकर दुनिया दंग रह गई।
कोई भी न्यूज चैनल इस खबर को दिखाने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि इस खबर से कई लोगों का हार्ट फेल हो सकता है।
सूक्ष्म आवृत्तियों को डिकोड किया गया तो बार बार एक ही आवाज़ आ रही थी -
" हिंदुओ जाग जाओ ।
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