गाजियाबाद : मूर्धन्य साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. चंद्र त्रिखा के समग्र व्यक्तित्व पर केन्द्रित पुस्तक ‘विलक्षण कलम-साधक: चंद्र त्रिखा’ के लोकार्पण एवं परिचर्चा-कार्यक्रम का आयोजन गत दिवस प्रेरणा संस्थान, कुरुक्षेत्र के सभागार में किया गया। इस पुस्तक का संपादन विख्यात समालोचक प्रोफेसर लालचंद गुप्त ‘मंगल’ द्वारा किया गया है। अद्विक पब्लिकेशन से प्रकाशित प्रो. लालचंद गुप्त ‘मंगल’ द्वारा संपादित पुस्तक ‘विलक्षण कलम-साधक: चंद्र त्रिखा’ पुस्तक पर आयोजित परिचर्चा-कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आईएएस डॉक्टर सुमेधा कटारिया मुख्य अतिथि रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के हिंदी विभाग के पूर्व अधिष्ठाता प्रोफेसर लालचंद गुप्त ‘मंगल’ ने की। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल, गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में उप सम्पादक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. धनेश द्विवेदी तथा वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी जयभगवान सिंगला विशिष्ट अतिथि रहे।
डॉ. चंद्र त्रिखा की गरिमामयी उपस्थिति में मंच पर उपस्थित अतिथियों द्वारा ‘विलक्षण कलम-साधक: चंद्र त्रिखा’ का विमोचन किया गया। अद्विक पब्लिकेशन के संस्थापक अशोक गुप्ता एवं प्रधान-संपादक डॉ. स्वाति चौधरी द्वारा शाल एवं स्मृति पत्र दे कर मनीषियों का स्वागत किया गया साथ ही डॉ. त्रिखा एवं लाल चंद गुप्त को ‘साहित्य-सौरभ’ सम्मान से सम्मानित किया गया। अन्य मनीषियों को ‘किआन-अमृत’ सम्मान प्रदान किया गया।
अद्विक पब्लिकेशन की प्रधान-संपादक डॉ. स्वाति चौधरी द्वारा सभी आमंत्रित अतिथियों की शाब्दिक स्वागत के बाद परिचर्चा-कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले हास्य कवि विनीत पांडेय ने डॉक्टर त्रिखा के संबंध में पुस्तक में संकलित प्रतिष्ठित साहित्यकारों द्वारा लिखे गए आलेखों पर परिचयात्मक रुप में बात रखी। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी में समन्वय डॉ. विजेंद्र ने इस अवसर पर डॉ. त्रिखा के अकादमी के निदेशक के रूप में विभिन्न कार्यकाल में साहित्य संवर्धन के लिए किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उनके बाद अंतर्राष्टीय गीतकार ग़ज़लकार चरणजीत ‘चरण’ ने ग़ज़ल क्षेत्र में डॉ. त्रिखा के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, उनकी ग़ज़लों के संदर्भ के माध्यम से उन्हें कबीर के करीब बताया।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कुमार विनोद ने डॉक्टर चंद्र त्रिखा को लेकर अपने संस्मरण साझा किए। इतिहास संकलन समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश शर्मा ने डॉक्टर त्रिखा के नेतृत्व में निकाली गई पांच साहित्य चेतना यात्राओं के अनुभव और साहित्य जगत पर उनके प्रभावों के बारे में अपना वक्तव्य दिया।
केंद्रीय साहित्य अकादमी के सदस्य सुविख्यात साहित्यकार डॉ. दिनेश दधीचि ने डॉ. त्रिखा की साहित्यक यात्रा को अद्वितीय और प्रेरक बताया। कैथल साहित्य सभा के प्रधान सुप्रसिद्ध नाटककार प्रोफेसर अमृतलाल मदान ने डॉ. त्रिखा द्वारा भारत-पाकिस्तान विभाजन पर लिखे उनके साहित्य पर अपना व्याख्यान देते हुए उन्हें सकारात्मकता और संवेदना का संदेश वाहक बताया एवं उत्कृष्ट साहित्य और पत्रकारिता के लिए श्रेष्ठ उदाहरण बताते हुए अपना संबोधन दिया। विशिष्ट अतिथि हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृत प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चितरंजन दयाल सिंह कौशल ने इस अवसर पर कहा, कि डॉक्टर त्रिखा के सानिध्य में कार्य करना उनके लिए उपलब्धि है, जिसे वह अविस्मरणीय मानते हैं। विशिष्ट अतिथि रहे गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में उप सम्पादक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. धनेश द्विवेदी ने डॉ. त्रिखा को सामाजिक जीवन को सही दिशा प्रदान करने के लिए साहित्य रचना करने वाला मार्गदर्शक साहित्यकार बताया।वरिष्ठ साहित्यकार एवं समाजसेवी जयभगवान सिंगला कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का धन्यवाद करते हुए डॉ. चंद्र त्रिखा को साहित्य का सच्चा साधक और बेहतरीन व्यक्तित्व का धनी बता, उन्हें इस अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।
विशिष्ट अतिथियों के संबोधन के बाद डॉ. चंद्र त्रिखा ने इस अवसर पर अपना जीवन अनुभव साझा करते हुए कहा, कि प्रदेश के साहित्यकारों एवं पत्रकारों द्वारा दिए गए प्यार एवं सम्मान के लिए दिल की गहराइयों से आभारी हूँ। मैंने सदैव पूरे सामर्थ्य और सत्य-निष्ठा से साहित्य जगत की सेवा का प्रयास किया है, जो कुछ भी कर पाया हूँ। वह देश के लेखकों के सहयोग और मार्गदर्शन से ही हो पाया है। अच्छे साहित्य के प्रकाशन हेतु अद्विक पब्लिकेशन को सराहा एवं बधाई दी। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर मंगल ने डॉक्टर त्रिखा की रचनाशीलता के संदर्भ में कहा, कि डॉक्टर त्रिखा की सृजनयात्रा के अनेक आयाम हैं। पत्रकार, कवि, जीवनीकार, इतिहासकार, विभाजन विभीषिका आख्यान, संस्कृति साधक आदि अनेक रूपों में वह हमारे समक्ष आते हैं। उनका अध्यात्म चिंतन, संस्कृति निरूपण, राष्ट्र आराधन और जीवन दर्शन असाधारण के साथ-साथ युवा पीढ़ी के लिए अंतस प्रेरणा का स्रोत हैं। वैचारिकता और संवेदनशीलता का सामंजस्य उनके लेखन की विशेषता रही है।
अंत में अद्विक पब्लिकेशन के संस्थापक अशोक गुप्ता ने आयोजन में शामिल होने के लिए डॉ. त्रिखा के साथ-साथ सभी अतिथियों का हृदय तल से आभार व्यक्त किया। उन्होंने साहित्य और पत्रकारिता के संवर्धन में डॉ. साहब के योगदान को नमन करते हुए उनसे प्रेरणा लेने की बात कही साथ ही साहित्य संवर्धन के प्रयास जारी रखने का निवेदन भी किया। श्री गुप्ता ने कहा, कि साहित्यिक संवर्धन हेतु डॉ. त्रिखा को पढ़ा जाना अति आवश्यक है और इस बाबत लालचंद गुप्त को इस पुस्तक के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ दी एवं कार्यक्रम को सफल बनने के लिए डॉ. विजेंद्र एवं दिनेश का आभार वक्त किया। सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन अद्विक पब्लिकेशन और प्रेरणा संस्थान कुरुक्षेत्र द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार शर्मा और कवि दिनेश शर्मा दिनेश ने किया।
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