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शरद पूर्णिमा में 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है चांद, अमृत बरसाता है चांद, खीर अवश्य खाएं:- ट्विंकल आडवाणी

बिलासपुर छत्तीसगढ़:-  जब मैं छोटी थी तो एक ही त्यौहार मुझे याद है जो रात को परिवार व सभी कॉलोनियों के लोग मिलकर मनाते थे । कई गेम खेले जाते थे। भजन का कार्यक्रम होता था। पूरी रात चलने वाला कार्यक्रम जिसमें स्पेशल प्रसाद खीर ,जो बच्चों को बहुत पसंद थी, खिलाई जाती थी ओर कहा जाता था इसको खाने से स्ट्रांग बनोगे। अच्छी बात होती थी अगले दिन स्कूल की छुट्टी मारने भी मिल जाती थी ,खैर हम सब मिलकर परिवार के साथ रात्रि इस त्यौहार का आनंद लेते थे जिसे कहते हैं शरद पूर्णिमा। इसे कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा भी कहते है जो आश्विन मास में आती है।

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है। ये पर्व रात में चंद्रमा की दुधिया रोशनी में मनाया जाता है । शरद पूर्णिमा में चांद पूर्ण होता है। 16 कलाओं से परिपूर्ण कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद की किरणो में अमृत बरसता है इसलिए इस रात्रि जागरण भजन के कार्यक्रम किए जाते हैं।
शरद पूर्णिमा को मनाने के पीछे कई धार्मिक मान्यता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का समुद्र मंथन के समय अवतरित हुई थी इसलिए मां लक्ष्मी मां विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा की रात को देवी लक्ष्मी धरती पर आती है जो भक्ति करते है उन भक्तों को धन-धन्य वैभव से नवाजती है।
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन दान का भी बड़ा महत्व होता है। इस दिन गुड और दीपदान (दीप जलाकर जल में प्रवाहित कर सकते हैं।) व खाद्य सामग्री व खीर बनी हुई अवश्य दान करनी चाहिए । इस दिन चावल की खीर अवश्य बनाई जाती है चांद से जुड़ी हुई वस्तुएं जागृत होकर अमृत के समान बन जाती है। चांद की रोशनी में बनी हुई खीर प्रसाद के रूप में बांटी जाती है। परिवार को अवश्य खिलानी चाहिए सकारात्मक ऊर्जा व खुशहाली आती है।
कुछ लोग शरद पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं जो जल व फल का सेवन कर रखा जाता है। व्रत करने वाली महिलाएं छह लड्डू बनाती हैं जो एक बाल गोपाल को, गर्भवती महिला को, एक पति को, एक सखी को, एक तुलसी मैया को व एक स्त्री को जो व्रत रखती है ग्रहण करती है।
 यह परंपर हम इंसानों को जोड़कर  
रखती हैं जिससे परिवार समाज में भाईचारा बढ़ता है। प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए हमें हर तीज त्योहारों का आनंद लेना चाहिए। इसे आधुनिकता के साथ अपनाते हुए वास्तविक स्वरूप को भी बनाए रखना चाहिए।
 इस दिन मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए। हमारी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है वह हमारे ग्रह में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है । इसी उम्मीद के साथ कि आप भी शरद पूर्णिमा का आनंद लेंगे खीर अवश्य खाएंगे। आप सबको शरद पूर्णिमा की बहुत-बहुत बधाइयां।

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