दिल्ली में आयोजित विराट सनातन धर्म संसद में साध्वी सरस्वती ने सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण के लिए सनातन बोर्ड की आवश्यकता पर बल दिया। अपने प्रभावशाली संबोधन में, उन्होंने धर्म और संस्कृति की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक संगठित और सशक्त मंच के गठन को समय की मांग बताया।
*सनातन बोर्ड पर साध्वी सरस्वती के विचार:-*
*साध्वी सरस्वती ने कहा:-*
"आज जब सनातन धर्म पर बाहरी आक्रमण और आंतरिक भटकाव का खतरा मंडरा रहा है, तब एक संगठित और प्रभावी मंच की आवश्यकता है। सनातन बोर्ड वह मंच होगा, जो संतों, धर्माचार्यों, और समाज के सभी वर्गों को एकजुट कर सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए काम करेगा।"
उन्होंने आगे कहा कि सनातन बोर्ड न केवल सनातन धर्म के सिद्धांतों को संरक्षित करेगा, बल्कि युवाओं और समाज के अन्य वर्गों को जोड़ने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
*देवकीनंदन ठाकुर महाराज जी के प्रयासों की सराहना:-*
साध्वी सरस्वती ने श्री देवकीनंदन ठाकुर महाराज के इस कदम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा:
"देवकीनंदन ठाकुर जी का यह कदम सनातन धर्म के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने जो संकल्प लिया है, वह केवल धर्म का संरक्षण नहीं, बल्कि इसे आधुनिक युग में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का प्रयास है। उनका नेतृत्व और दूरदर्शिता सनातन धर्म के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में सहायक होगी।"
उन्होंने ठाकुर जी के प्रयासों को एकता और जागरूकता का प्रतीक बताया और कहा कि उनका यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत और प्रेरणादायक नींव रखेगा।
*सभा के दौरान प्रमुख बिंदु:-*
*सनातन धर्म के खिलाफ षड्यंत्रों का सामना:*
साध्वी सरस्वती ने यह स्पष्ट किया कि सनातन धर्म के खिलाफ चल रही गतिविधियों को रोकने और इसके मूल्यों को संरक्षित करने के लिए सनातन बोर्ड एक मजबूत मंच होगा।
*युवाओं को धर्म से जोड़ने की आवश्यकता:*
उन्होंने युवाओं के बीच धर्म की समझ और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए योजनाएँ बनाने पर जोर दिया।
*धर्म का वैश्विक प्रसार:*
उन्होंने ठाकुर जी के नेतृत्व में सनातन धर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की संभावना पर चर्चा की।
*संतों और धर्माचार्यों की एकजुटता:*
साध्वी सरस्वती ने इस बात पर जोर दिया कि देवकीनंदन ठाकुर जी के प्रयास सभी संतों और धार्मिक संस्थाओं को एकजुट करने में सहायक होंगे।
*निष्कर्ष:-*
साध्वी सरस्वती का यह संबोधन सनातन धर्म की शक्ति, एकता और इसके उज्ज्वल भविष्य का संदेश देता है। उनके विचार और देवकीनंदन ठाकुर महाराज जी के प्रयास सनातन धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
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