बिलासपुर, छत्तीसगढ़:- एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू ! देवदास फिल्म का प्रसिद्ध डायलॉग जिसमेें कई चुटकिले व रिल बन गई मगर एक चुटकी सिंदूर चुटकियों में रिश्ते बदल देता है। इसकी कीमत वाली 10 से ₹100 हो मगर प्रभाव जीवन के अंत तक रहता है। इसकी कीमत दो परिवारों की खुशी ,समाज में मान सम्मान , रिश्तो की गरिमा ,मर्यादा है।
हां सही सोच रहे हैं आप शादी... एक ऐसा बंधन है जो दो परिवारों को जोड़ता है । पति -पत्नी का रिश्ता सबसे अलबेला मजबूत रिश्ता माना जाता है। पत्नी पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं क्योंकि पति की लंबी उम्र व अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है। सनातन धर्म में व्रत का बहुत महत्व है और करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं मानती हैं। रिश्तो में एक सुखद अनुभूति का एहसास दिलाता है। कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि के कारण करवा और चौथ को मिलाकर करवा चौथ का नाम पड़ा।
कुछ वर्ष पूर्व तक पंजाबी समुदाय के लिए एक खास त्योहार माना जाता था मगर टीवी सीरियल फिल्मों में इतनी भव्यता के साथ मनाया व दिखाया जाता है कि अब हर सुहागन मानने लगी है । चाहे वह किसी भी समुदाय की हो, करवा चौथ देश विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है। बाजार कुछ दिन पहले ही सजने लगता है। हर तरफ डिजाइनर कपड़े, पूजा सामग्री नजर आने लगते हैं ।
करवा चौथ सबसे पहले माता गौरी ने भोलेनाथ के लिए रखा था। माता ने निर्जला उपवास रखकर चांद को अर्ध्य दिया था तब से करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है ।
भगवान श्री कृष्ण के कहने पर द्रोपती ने भी करवाचौथ रखा था और कुछ ही दिन बाद अर्जुन सुरक्षित लौट आए।
करवा चौथ में लाल रंग सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसलिए ज्यादातर महिलाएं लाल कपड़े पहनती हैं। हमें सफेद, काला पहनने से बचना चाहिए। इस दिन सफेद चीजों का दान व सुहाग का सामान शेयर व दान नही करना चाहिए व चाकू ,कैची, सुई धारदार सामान नहीं खरीदना चाहिए।
करवा चौथ का पर्व पत्नी के प्यार ,सम्मान, त्याग को समर्पित करता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश व चांद की पूजा की जाती है। शाम को कथा सुनी जाती है वह चांद को अर्ध्य दिया जाता है। परिवार की सुख शांति समृद्धि के लिए महिलाएं कामना करती हैं।
महिलाएं सोलह सिंगार करने के बाद पूजा अर्चना करती है। उन्हें पूजा में चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, हलवा गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर, हल्दी, जल का लोटा, गौरी की फोटो आदि रखा जाता है। कथा सुनते वक्त सात बार थाली की अदला बदली की जाती है अंत में चांद को अर्ध्य दिया जाता है। चांद को देखने के बाद पति को देखा जाता है। पति के हाथों जल पीकर व्रत खोला जाता है।
आजकल कुछ पति भी करवा चौथ का व्रत रखते हैं। मुझे लगता है कि अच्छी बात है। एक बिना दूसरा अधूरा है। गाड़ी के दो पहिए हैं इसलिए दोनों का अंत तक साथ रहना जरूरी है। पत्नी के बिना पति की लंबी उम्र सिर्फ तकलीफ और दुख देती है इसलिए आजकल पति भी पत्नियों के लिए व्रत रखते हैं। यह उनके प्यार में अपनत्व को प्रदर्शित करता है। करवा चौथ एक परंपरा है इसका स्वरूप आधुनिक हो चुका है अगर ये पहल सकारात्मक रही तो इसे खुशियों के साथ परंपरा को बनाए रखना चाहिए।
एक चुटकी सिंदूर की कीमत दो परिवार का प्यार सम्मान मर्यादा है रिश्तो को निभाते हुए आप भी करवा चौथ मनाएँ। करवा चौथ 20 अक्टूबर को है। परिवार में सुख समृद्धि की कामना के साथ करवा चौथ की आप सभी को बधाइयां।
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