गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट पर कल 20 नवंबर को मतदान होने जा रहा है अब तक जो ग्राउंड रिपोर्ट में सर्व उभर कर सामने आया हैउसमें दलित और मुस्लिम वोटरों के बिखराव से पड़ा ए का समीकरण गड़बड़ाता नजर आ रहा है इससे एक बार फिर गाजियाबाद में फिर से कमल खिलाने की संभावनाएं बढ़ गई है गठबंधन प्रत्याशी सिंह राज जाटव दलित मुस्लिम वोटरों को साधने में पूरी तरह से सफल नगर नहीं आ रहे हैं दलित मुस्लिम वोटो में बिखराव की पूरी संभावना बन रही है इसका सबसे बड़ा कारण यही पार्टियों द्वारा दलित प्रत्याशी उतरना भी माना जा रहा है हालांकि शहर विधानसभा सीट पर दलित मुस्लिम प्रत्याशी निर्णायक भूमिका में है और यदि एक तरफ यह एक प्रत्याशी का समर्थन कर दे तो यहां तस्वीर कुछ और बन सकती है लेकिन गठबंधन ने PDA का कार्ड खेलते हुए गठबंधन प्रत्याशी सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी सिंह राज जाटव चुनावी मैदान में उतरे हैं वही एआइएमआइएम ने भी यहां से दलित प्रत्याशी के रूप में रवि गौतम को उतारा है इसके साथ ही आजाद समाज पार्टी और बसपा भी दलित व मुस्लिम वोटो के सहारे ही अपनी किस्मत आजमा रहे हैं भाजपा को छोड़कर सभी दल बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोई भी पार्टी इसमें सफल होती नजर नहीं आ रही है पहले दलितों को बसपा का मुख्य वोट माना जाता था इन्हीं के सहारे वह चुनाव में अपनी जीत दर्ज करते थे दलित मुस्लिम समीकरण के आधार पर ही एक बार स्वर्गीय सुरेश बंसल इस सीट से विधायक बन चुके हैं इस बार इसी समीकरण के सहारे बहुजन समाज पार्टी ने यहां से पीए एन गर्ग को अपना प्रत्याशी बनाया लेकिन गर्ग के साथ दलितों का झुकाव काम ही नजर आ रहा है इसका सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि वह पीए ने गर्ग वैश्य समाज से आते हैं और वह अपने समाज की भी वोट नहीं ले पा रहे हैं अधिकतर वैश्य समाज का झुकाव भाजपा की ओर नजर आ रहा है इसी कारण दलित मतदाता बसपा की तरफ काम ही झुकाव दिखाई दे रहा है समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव 2022 में यहां से पहले भी दलित कार्ड खेल चुकी है उसे समय पार्टी ने विशाल वर्मा को टिकट दिया था लेकिन तब भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा 2022 में मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी का पूरा साथ दिया उसके बावजूद भी समाजवादी पार्टी यहां से जीत दर्ज नहीं कर पाई एक बार कांग्रेस समाजवादी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनको सीधी टक्कर एमआईएम प्रत्याशी रवि गौतम से चुनौती के रूप में मिल रही है एमआईएम प्रत्याशी रवि गौतम ने पार्टी नेताओं के साथ मुस्लिम क्षेत्रों में काफी चुनाव प्रचार किया और उन्होंने पैगंबर हजरत मोहम्मद की शान गुस्ताखी पर समाजवादी पार्टी की चुप्पी को पूरे तौर पर भुनाया है एमआईएम के नेताओं ने इस बात का खूब प्रचार किया की नबी की शान में गुस्ताखी पर भी समाजवादी पार्टी के बड़े नेता अखिलेश यादव तक नहीं बोले जबकि मी हमने इस मामले का पूरी तरह से विरोध किया और पार्टी प्रत्याशी रवि गौतम चुनाव से पहले पहले केला भट्टा क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करने के दौरान गिरफ्तार कर जेल भी भेजे गए इस मामले में भी समाजवादी पार्टी की चुप्पी से मुसलमानों में नाराजगी दिखाई दे रही है उनका यह भी मानना है कि उपचुनाव से ना तो किसी की सरकार बन रही है और न बिगड़ रही है इसलिए अधिकतर मुसलमान का झुकाव एमआईएम पार्टी की तरफ दिखाई दे रहा है यदि ऐसा हुआ तो इसका पूरा नुकसान सपा गठबंधन प्रत्याशी सिंह राज जाटव को उठाना पड़ सकता है दूसरी चर्चा विजयनगर क्षेत्र में यह भी है कि सिंह राज जाटव विजयनगर क्षेत्र के निवासी जरूर है लेकिन सामाजिक रूप से उनका लोगों में ज्यादा मेल मिलाप नहीं है उन्होंने ऐसा कोई जनहित का मामला आज तक नहीं उठाया ना ही वह कोई आंदोलन जनता के लिए कर पाए जन नेता की उनकी कोई छवि नहीं है समाजवादी पार्टी में भी वह ज्यादा दिन नहीं रहे हैं वह बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे उनके टिकट घोषणा पर समाजवादी संगठन के कुछ नेता हैरानी में भी नजर आ रहे हैं इससे भी बड़ी बात कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन में गुटबाजी के कारण चुनाव में वह पूरी तरह नहीं लग पाए जो माहौल बनना चाहिए था वह कहीं नजर नहीं आ रहा है कांग्रेस और सपा के कुछ नेता चुनाव प्रचार से पहले ही अपने घर बैठे दिखाई दिए सिंह राज जाटव की चुनाव प्रचार में बहुत ही काम लोग गठबंधन के पूरी तरह से नजर आए केला भट्टा क्षेत्र में एक भी किसी बड़े मुस्लिम नेता की कोई सभा नहीं हुई केवल वह डोर टू डोर सभा करके ही चले गए मुस्लिम क्षेत्रों में उपचुनाव को लेकर कोई खास उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है इसका खामियां यज गठबंधन प्रत्याशी सिंह राज जाटव को भुगतना पड़ सकता है गठबंधन नेताओं का दावा तो यह है कि के दलित मुस्लिम निर्णायक भूमिका में है लेकिन दलित और मुस्लिम वोटो में बसपा के अलावा आजाद समाज पार्टी भी सेंध ,,, लगती नजर आ रही है जहां बसपा का मुख्य वोट खिसक रहा है वही दलित युवाओं का झुकाव आजाद समाज पार्टी की तरफ दिखाई दे रहा है भाजपा को छोड़कर सभी प्रत्याशी दलित मुस्लिम वोटो के सहारे ही अपनी जीत मानकर कर चल रहे हैं लेकिन जिस तरह से दलित मुस्लिम वोट में बिखराव की स्थिति नजर आ रही है उससे गठबंधन प्रत्याशी सिंह राज जाटव की रहा आसन नहीं रह गई है अगर हम बसपा और आजाद समाज पार्टी प्रत्याशी की बात करें तो यह है तीसरे और चौथे नंबर की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं दलित मुस्लिम वोटो में बिखराव का सीधा लाभ भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है इसका सबसे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा महानगर अध्यक्ष है उनकी हर जाति और धर्म के लोगों में मजबूत पकड़ है इसके साथ ही अतुल गर्ग यहां संसद का चुनाव जीत चुके हैं मेयर और सभी विधायक चुनाव प्रचार में पूरी तरह से जुटे रहे जहां तक गरीबों को मकान और आयुष्मान कार्ड देने की बात रही है वह बिना किसी भेदभाव के दलित मुस्लिम और अन्य पिछड़े जाति के लोगों को दिए गए इसी कारण दलितों के साथ ही पिछड़ी जातियों का झुकाव भी भाजपा की तरफ दिखाई दे रहा है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रोड शो ने तो गाजियाबाद शहर सीट की हवा ही बदल कर रख दी योगी आदित्यनाथ का दर्शन करने के लिए लोग घंटे तक इंतजार करते रहे दलितों का झुकाव भाजपा की ओर भी कम नहीं है इससे भी बड़ी बात यह सामने दिखाई दे रही है की PDA. को कांग्रेस सपा गठबंधन का जनरल वॉटर स्वीकार नहीं करता नजर आ रहा है इसी कारण दलित मुस्लिम वोटरों में बिखराव के चलते गठबंधन प्रत्याशी की आसन नहीं राह गई है
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