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सीरिया में तख्तापलट:- संजय सोंधी

सीरिया में तख्तापलट:- संजय सोंधी

Ghaziabad :- अंतत: मध्य पूर्व के देश सीरिया में लगभग 11 वर्षों के गृहयुद्ध के पश्चात विद्रोहियों ने राष्ट्रपति बसर अल असद का तख्ता पलट दिया और सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया l बसर अल असद को भागकर रूस में शरण लेनी पड़ी है l यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि वो ऑस्ट्रेलिया चले जाएंगे l बसर अल असद अपने पिता हाफिज अल हसद की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति बने थे l उनके पिता हाफिज अल असद ने भी 1971 से 2000 तक सीरिया पर निरंकुश शासन किया था l वर्ष 2011 में कई देशों में (अरब स्प्रिंग) के नाम से जन विद्रोह प्रारंभ हुए थे l जिनमें कई देशों के तानाशाहों को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी l यथा – ट्यूनीशिया और लीबिया l 
वर्ष 2011 से ही सीरिया में भी बसर अल असद के शासन के ख़िलाफ़ जनता ने अपना विरोध करना प्रारंभ कर दिया था l जिसका जवाब जनता के विरोध को सैन्य ताकत से कुचल कर दिया गया इसके बाद बसर अल असद के शासन के ख़िलाफ़ जनता के विरोध ने सशस्त्र रूप धारण कर लिया और सीरिया में गृहयुद्ध प्रारंभ हो गया l सीरिया में सत्तारुढ़ वर्ग शिया धर्मावलंबी हैं और इसी कारण इसे ईरान का खुला समर्थन प्राप्त हुआ l अरब स्प्रिंग को बढ़ावा देने में पश्चिमी देशो विशेषकर अमेरिका का बहुत बड़ा हाथ रहा था l सीरिया का सत्तारूढ़ वर्ग रूस समर्थक माना जाता रहा हैं l इसी कारण रूस ने भी खुलकर बसर अल असद का समर्थन किया l ईरान और रूस के समर्थन के कारण ही 2015 में बसर अल असद किसी प्रकार अपनी सत्ता को गंवाने से बचा पाए थे l इन 13 वर्षों में ईरान और रूस ने सीरिया की सत्तारुढ़ बाथपार्टी और उसके नेता बसर अल असद का खुला समर्थन किया l पिछले वर्ष सात अक्टूबर को हमास द्वारा इजराइल पर हमला किए जाने से स्थिति में निर्याणक परिवर्तन आना प्रारंभ हुआ l इजराइल ने हमले का बदला लेते हुए पहले हमास को नेस्तानाबूद कर दिया l इसके बाद लेबनान में ईरान समर्थक हिजबुल्ला पर भी हमला कर उसे काफी हद तक कमजोर कर दिया l हिजबुल्ला समूह ईरान की शह पर सीरिया की सरकार को मदद किया करता था l यहाँ यह बात गौरतलब हैं कि सीरिया , लेबनान और इजराइल सभी सीमावर्ती देश हैं l इस स्थिति में एक अन्य परिवर्तन और आया कि तुर्की ने खुले तौर पर दो विद्रोही संगठनों हयात ताहिर-अल शाम (HTS) और सीरियन नेशनल आर्मी (SNA) का खुला समर्थन करना प्रारंभ कर दिया l तुर्की ने सीरिया में इसलिए हस्तक्षेप किया कि वह मध्य पूर्व के मामलों में अपनी ज्यादा बड़ी भागीदारी देख रहा हैं l इसके अलावा सीरिया के तानाशाह बसर अल असद तुर्की के कुर्द विद्रोहियों को समर्थन कर रहे थे l कुर्द विद्रोही तुर्की , ईराक और सीरिया के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक पृथक कुर्दिस्तान का निर्माण करना चाहते हैं l कुर्द लोग इस क्षेत्र में हमेशा से ही भेदभाव का शिकार होते रहे हैं l यहीं कारण हैं कि वो अपने लिए पृथक कुर्दिस्तान राष्ट्र बनाना चाहते हैं l इस प्रकार मध्य पूर्व के मामलों में निश्चित तौर पर तुर्की की स्थिति मज़बूत हो रही है l इसके साथ ही तुर्की के राष्ट्रपति रजत तैयब अर्दुअन की स्थिति तुर्की की आंतरिक राजनीति में भी मज़बूत हो रही है l 
इस घटनाक्रम का सबसे बड़ा नुकसान ईरान को उठाना पड़ा है l पिछले एक वर्ष में ईरान समर्थक हमास और हिजबुल्ला काफी हद तक कमज़ोर कर दिए गए हैं l अब सीरिया की शिया सरकार भी जाती रही है जिसे ईरान का खुला समर्थन प्राप्त था l ईरान एक शिया बाहुल्य देश है और यह अपने आपको दुनिया भर के शियाओं का स्वाभाविक नेता समझता है l रूस भी अपनी समर्थन वाली सरकार को बचाने में असफल रहा है l हाफ़िज़ अल असद के समय से ही रूस का सीरिया की बाथपार्टी को खुला समर्थन रहा था l पूरे घटनाक्रम में इजराइल को सर्वाधिक लाभ हुआ है l अब हमास और हिजबुल्ला के पश्चात् उसका एक अन्य कट्टर विरोधी बसर अल असद भी सीरिया में तख्ता पलट कर दिया गया है l इस प्रकार इजरायल ने निश्चित रूप से राहत की सांस ली होगी और उसकी स्थिति मध्य पूर्व में पहले से अधिक मज़बूत हो गई है l इसके अतिरिक्त इजरायल के गॉड फादर अमेरिका को भी सहज़ ही अपने घुर विरोधियों ईरान और रूस को गच्चा दे पाने में सफलता मिली है l इस पूरे घटना क्रम में सर्वाधिक नुकसान ईरान और रूस का हुआ है और उनका प्रभाव मध्य पूर्व में बहुत कम हो गया है l सीरिया में ईरान समर्थक सरकार के न रहने से हथियारों की तस्करी पर रोक लग जाएगी जिससे ईरान समर्थक हिजबुल्ला गुट जो कि लेबनान में सक्रिय है कि स्थिति काफी कमज़ोर हो जाएगी l इसके साथ ही सीरिया के माध्यम से रूसी हथियार अवैध रूप से ईरान तक पहुँचते थे, इस पर भी रोक लग जाएगी l

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