गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को लिखे पत्र में कहा है कि शिक्षा सत्र 2025-26 से दसवीं की दो बार बोर्ड की परीक्षा आयोजित कराने के प्रस्ताव से जहां छात्रों में अतिरिक्त तनाव बढ़ेगा, वहीं अभिभावकों पर बोर्ड परीक्षा शुल्क दो बार देने पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा । सीबीएसई का कहना कि बोर्ड की परीक्षा दो बार आयोजित कराने का उद्देश्य छात्रों में तनाव कम करना और ट्यूशन कल्चर को समाप्त करना है, जबकि इस प्रक्रिया में छात्रों , अभिभावकों एवं शिक्षकों सभी को अत्यधिक मानसिक तनाव से गुजरना होगा । वहीं ट्यूशन कल्चर पर भी रोक लगाना मुश्किल ही दिखाई पड़ता है सीबीएसई द्वारा शिक्षा सत्र 2025 -26 से दसवीं की बोर्ड परीक्षा दो बार कराने का सर्कुलर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला देते हुए जारी किया है। जीपीए के सचिव अनिल सिंह ने कहा कि अभिभावक संघ होने के नाते हम सीबीएसई से पूछना चाहते है कि कितने बच्चों और अभिभावकों ने पूर्व में आयोजित की जा रही बोर्ड की परीक्षा के पैटर्न पर शिकायत की है अथवा प्रश्न चिन्ह लगाया है। क्योंकि शिक्षा बच्चो को मिल रही है और अभिभावक इसको मोटा पैसा खर्च करके निजी स्कूलों के माध्यम से दिलवा रहे है। क्या इस मसौदे को तैयार करने में अभिभावकों , शिक्षकों और छात्रों की राय ली गई है बोर्ड के छात्रों को प्रयोग का माध्यम न बनाया जाए । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कहती है कि विद्यार्थियों के ऊपर परीक्षा का तनाव कम होना चाहिए अतः आम इंसान भी समझ सकता है कि विद्यार्थियों में एक बार बोर्ड की परीक्षा देने से तनाव कम होगा या दो बार परीक्षा देने से । अभिभावकों पर पहले ही निजी स्कूलों द्वारा अत्यधिक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है अब सीबीएसई द्वारा दो बार बोर्ड परीक्षा कराने पर दो बार बोर्ड की फीस ली जाएगी इससे निश्चित रूप से अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा । सीबीएसई को समझना होगा कि जिस विद्यालय में बच्चा पढ़ रहा है उसमें वो दो बार मिड टर्म परीक्षा , प्री बोर्ड और फिर दो बार बोर्ड की परीक्षा देगा तो इस पैटर्न पर वो पूरे वर्ष परीक्षा ही देता रहेगा तो उसको अपना सिलेबस पूरा करने के लिए कितने दिन मिलेंगे । साथ ही जिन विद्यालयों में दो बार बोर्ड की परीक्षा आयोजित की जाएगी उन स्कूलों में अन्य कक्षाओं की पढ़ाई भी निश्चित रूप से बाधित होगी । अब जो शिक्षक दो बार बोर्ड की ड्यूटी देंगे और दो बार लाखों विधार्थियों की बोर्ड परीक्षाओं की कॉपियों का मूल्यांकन करेंगे क्या वो दबाव मुक्त होकर पठन पाठन की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे ? राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है कि अगर बच्चा चाहता है तो उसको दो बार परीक्षा के मौके दिए जाए जिसके लिए सीबीएसई के पास पहले ही बोर्ड के छात्रों के लिए कंपार्टमेंट की व्यवस्था है । फिर क्यों सीबीएसई द्वारा छात्रों में तनाव कम करने के नाम पर दो बार बोर्ड परीक्षा कराने का अनावश्यक प्रयोग किया जा रहा है ।
हम बोर्ड की परीक्षा दो बार आयोजित कराने से लाखों विधार्थियों के समग्र विकास पर विपरीत असर पड़ने और परीक्षा का अत्यधिक दबाव पड़ने से तनाव बढ़ने को लेकर चिंतित है । इस पॉलिसी से कोचिंग कल्चर को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा हमारे भारत में पॉलिसी बनाने वाला विभाग कोई और होता है और पॉलिसी को क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी किसी और विभाग को दी जाती है। पॉलिसी को क्रियान्वित करने वाला विभाग पॉलिसी की मूल भावना को समझे बिना ही उसे कमाई का जरिया बना देता है । जीपीए ने पत्र के माध्यम से केंद्रीय शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध किया है कि बच्चो के समग्र विकास और तनाव कम करने के लिए बोर्ड की परीक्षा दो बार आयोजित नहीं कराई जानी चाहिए। क्योंकि शिक्षा की प्रक्रिया शिक्षक और छात्रों के बीच का अहम हिस्सा है इस प्रकार बोर्ड की परीक्षा दो बार आयोजित कराने पर शिक्षक और छात्र आपस में शिक्षा के लिए कम समय के लिए मिल पाएंगे और शिक्षण कार्य निश्चित रूप से प्रभावित होगा साथ ही देश के लाखों अभिभावकों पर दो बार बोर्ड की परीक्षा फीस देने का भी अतिरिक्त भार पड़ेगा ।
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