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प्राइवेट स्कूलों के लिए अभिभावक बने लूट का ATM - सीमा त्यागी

शिक्षा के बढ़ते बाजारीकरण को रोकने के लिए देश के पेरेंट्स को होना होगा एक जुट - सीमा त्यागी 

Ghaziabad :- हमारे देश में शिक्षा को हमेशा से समाज सेवा माना जाता है। संविधान में शिक्षा को मौलिक अधिकार कहा जाता है।लेकिन आज के परिदृश्य का आंकलन करे तो शिक्षा विशुद्ध रूप से व्यापार बन गई है ,और इसका बोझ सीधा देश के अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है । अपने बच्चो को शिक्षित करने के लिए अभिभावकों को अपनी गाढ़ी कमाई का मोटा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है। अप्रैल माह से निजी स्कूलो का नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होता है, और यही से निजी स्कूलों की कॉपी किताब, ड्रेस, स्टेशनरी और मोटी फीस के नाम पर उगाही शुरू हो जाती है । अभिभावकों को ना चाहते हुए भी इस लूट का हिस्सा बनना पड़ता है। हालांकि सरकार की तरफ से सभी स्कूलों में एनसीईआरटी का कोर्स लगाने का आदेश जारी किया हुआ है, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की निजी प्रकाशकों के साथ जुगलबंदी अभिभावकों की जेब पर खुलकर डाका डाल रही है। स्कूलों द्वारा प्राइवेट पब्लिशर्स की कोर्स में कई विषयों में दो दो पुस्तके शामिल कर खूब खेल किया जा रहा है । अगर हम एनसीईआरटी के कोर्स की बात करें तो कक्षा 1 से 12 तक ये अधिकतम 1500 रुपए का है। निजी स्कूलों द्वारा प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें के साथ कोर्स को 10,000 से लेकर 15000 तक बेचा जा रहा है। मजे की बात देखिए हर स्कूल की एक विशेष दुकान होती है, जहां से पेरेंट्स को कोर्स खरीदने के लिए विवश किया जाता है । उत्तर प्रदेश में 2018 में बना फीस अधिनियम कहता है कि कोई भी स्कूल अपने विद्यालय परिसर में किताब कॉपी, ड्रेस , मोजे स्टेशनरी की बिक्री नहीं कर सकता है, और ना ही किसी अभिभावक को किसी विशिष्ट दुकान से खरीदने के लिए विवश कर सकता है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बिल को आज तक जमीन पर लागू नहीं करवा पाए । जिसके कारण किताब कॉपी के नाम पर मोटे कमीशन का गोरख धंधा जारी है। अधिकारी इस लूट का स्वतः संज्ञान न लेकर अभिभावकों की शिकायत का इंतजार करते रहते है। अभिभावक इतने डरे हुए होते है कि वो अपने बच्चो के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस मोटी लूट के खिलाफ आवाज ही नहीं उठा पाते । कुल मिलाकर अब ये लूट साल दर साल बढ़ती ही जा रही है और पेरेंट्स निजी स्कूलों के लिए लूट का एटीएम बन गए हैं मेरा अपना मानना है कि किताब कॉपी ड्रेस स्टेशनरी ,यूनिफॉर्म एवं मोटी फीस के नाम पर निजी स्कूलों द्वारा की जा रही लूट पर रोक लगाने के लिए देश के अभिभावकों को अब सरकार के भरोसे न रहकर खुद एक जुट होकर पहल करनी होगी, तभी इस बढ़ती हुई लूट पर अंकुश लगाया जा सकता है ।अगर देश के अभिभावक अभी भी संगठित नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं जब शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर हो जाएगी ,और एक विशेष वर्ग तक सीमित हो कर रह जाएगी । अगर देश की सरकारें शिक्षा व्यवस्था ही नहीं दुरुस्त कर पा रही है तो विश्व गुरु बनने का सपना , सपना ही रह जाएगा। सरकारें सिर्फ नारे और जुमले ही देती रहेंगी_ पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया। बेटी बच्चों बेटी पढ़ाओ।

सीमा त्यागी 
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन 

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